हरियाणा कांग्रेस में टेंशन खामोश सैलजा को भाजपा का ऑफर
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (टि्रन्यू)
पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा की ‘खामोशी’ ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं, खासकर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की ‘टेंशन’ बढ़ा दी है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए टिकट आवंटन के बाद से ही सैलजा राजनीतिक तौर पर असक्रिय हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार से पूरी तरह से दूरी बनाई हुई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव सैलजा की चुप्पी और दलित मान-सम्मान को चुनावी मुद्दा बनाते हुए भाजपा ने उन्हें अपने साथ आने की पेशकश कर दी है।
पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने एक चुनावी जनसभा में कहा, ‘कांग्रेस में बहुत अंदरूनी कलह है।... सैलजा हमारी दलित बहन हैं। वे घर बैठी हैं। लोगों का बड़ा वर्ग सोच रहा है कि उन्हें क्या करना चाहिए।’ किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई सहित अन्य नेताओं का नाम लिए बिना मनोहर लाल ने कहा, कई लोग उनसे (हुड्डा खेमा) नाराज थे। हम उन्हें अपनी पार्टी में ले आए। हम उन्हें (सैलजा) भी पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार हैं।
सैलजा के खिलाफ कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा की गयी विवादित टिप्पणी को भाजपा ने मुद्दा बना लिया है। शनिवार को दिन भर सैलजा के भाजपा में जाने की चर्चा राजनीतिक हलकों में चलती रही। हालांकि सैलजा से जुड़े नेताओं ने पूरी मजबूती के साथ दावा किया कि वे किसी दूसरी पार्टी में शामिल नहीं होंगी। सैलजा दिल्ली में अपने समर्थकों के साथ लगातार बैठकें कर रही हैं, लेकिन फील्ड में नहीं आ रहीं। कांग्रेस के पास हरियाणा ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी सैलजा बड़ा दलित चेहरा हैं। सूत्रों का कहना है कि टिकट आवंटन में एकतरफा हुड्डा कैम्प की चलने की वजह से वे नाराज हैं। पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया के वर्किंग स्टाइल पर वे पहले ही सवाल उठा चुकी हैं।
नब्बे सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। अन्य सीटों पर भी दलित वोट बैंक हार-जीत में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े रहे उन सभी नेताओं की बेचैनी सैलजा की चुप्पी ने बढ़ा दी है, जिनके यहां दलित वोट हार-जीत में निर्णायक रहते हैं। हालिया लोकसभा चुनावों में राज्य में लोकसभा की दस सीटों में से कांग्रेस को पांच पर जीत दिलवाने में एससी वोटर की अहम भूमिका रही। कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता द्वारा सैलजा के खिलाफ जातिगत टिप्पणी से उनके समर्थकों में नाराजगी है। पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई ने कहा कि वे पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं और प्रदेश की भावी मुख्यमंत्री भी हैं। उनके साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। वहीं, कुलदीप बिश्नोई ने कहा, ‘कुमारी सैलजा कांग्रेस की सम्मानित नेता हैं, लेकिन उनके साथ वहां अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा। कांग्रेस को सैलजा की अनदेखी का खमियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।’