मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

टेक्नॉलोजी ने आसान किये जमीन के काम

06:30 AM Oct 20, 2023 IST
वीएस कुंडु

प्रदेश में राजस्व सुधार से हरियाणा में लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। अपनी प्रगतिशील सोच और आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से वर्तमान नेतृत्व ने राज्य में भूमि बंदोबस्त को नई ऊंचाइयां दी हैं। इससे विवादों में जहां कमी आई है वहीं नागरिकों की मुश्किलें आसान हुई हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने जमीनी स्तर के लंबे अनुभवों के आधार पर राजस्व से जुड़ी सभी कठिनाइयों का समाधान का प्रयास है, जिससे लोग सबसे ज्यादा परेशान थे। उसमें राजस्व सुधार प्रमुख है।
हरियाणा में भूमि दस्तावेज प्रबंधन में डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया गया है। भूमि संबंधी सारे दस्तावेजों का कंप्यूटरीकरण करने के मामले में हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां के जिलों और तहसीलों के राजस्व संबंधी लगभग सभी रिकॉर्ड ऑन लाइन कर दिए गए हैं। दस्तावेजों का डिजिटलीकरण कर दिया गया है। इसके अगले चरण में जमीन की फर्द को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। फर्द लेने के लिए अब किसी नागरिक को तहसील अथवा जिला मुख्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं।
भू-राजस्व से जुड़े मसले बेहद संवेदनशील होने की वजह से यह बड़ी समस्या भी थी, जिसमें अपनी ही जमीन से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करना कड़ी चुनौती होती थी। राजस्व सुधार के तहत इसे आधुनिक टेक्नोलॉजी से जोड़ दिया गया है। अब घर बैठे कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन संबंधी सारे दस्तावेज डाउनलोड कर सकता है। ये बदलाव होने से पूर्व जमीनों का बैनामा (रजिस्ट्री) कराना किसी युद्ध से कम नहीं होता था, लेकिन राज्य के मौजूदा नेतृत्व की पहल ने इसे आसान बना दिया है। इसी तरह रजिस्ट्री कार्यालयों का पूरी तरह कंप्यूटरीकरण हो जाने से सारी प्रणाली ऑनलाइन हो चुकी है। सरकार के इस कदम से सुशासन को बल मिला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हरियाणा में राजस्व सुधार को लेकर मुख्यमंत्री की प्रशंसा की है।
दरअसल, राजस्व सुधार में दूसरा बड़ा कदम भूमि संबंधी बैनामा (रजिस्ट्री) प्रणाली में उठाया गया है। रजिस्ट्री से संबंधित विवादों की संख्या में लगातार भारी बढ़ोतरी सरकार के लिए समस्या बनी हुई थी। शासन-प्रशासन ने इस समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया। ई-पंजीकरण प्रणाली शुरू हो जाने से जहां पूरा सिस्टम पारदर्शी हो गया है वहीं बैनामा कराना बहुत आसान हो गया है। अब लोगों को रजिस्ट्री कराने के लिए तहसीलों में लंबा इंतजार करने से मुक्ति मिल गई है। रजिस्ट्री कराने के लिए व्यक्ति पहले से ‘एप्वाइंटमेंट’ ले सकता है।
हरियाणा की तहसीलों और उप तहसीलों में ई-रजिस्ट्रेशन प्रणाली की शुरुआत 2015 से ही हो गई थी। रजिस्ट्री के दस्तावेज प्राप्त करने के लिए भी व्यक्ति को तहसील मुख्यालय आने की जरूरत नहीं है। रजिस्ट्री तीन दिनों के भीतर डाक के माध्यम से उसके पते पर प्राप्त की जा सकती है। वहीं वर्ष 2017 से हरियाणा में रजिस्ट्री में काम आने वाले स्टैंप पेपर की जगह ई-स्टैंप प्रणाली शुरू हो चुकी है। वहीं तहसीलों में पैन की ऑनलाइन सत्यापन सेवा उपलब्ध है। राज्य के तहसील मुख्यालयों में सदियों पुराने राजस्व रिकार्ड को सुरक्षित रखने के लिए उसका भी डिजिटलीकरण कर दिया है। डिजिटल रिकार्ड के संरक्षण के लिए आधुनिक रिकार्ड रूम बनाए गए हैं।
इसी प्रकार, पहले प्रदेश में भूमि अधिग्रहण की समस्या गंभीर थी। किसानों की भूमि का जबरन अधिग्रहण आम बात थी, जिसे मौजूदा मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता के साथ समाप्त कराया। पुरानी व्यवस्था की जगह नया ई-भूमि पोर्टल लांच किया। इसके प्रावधानों के मुताबिक, राज्य में विकास कार्यों के लिए किसान अपनी जमीन स्वेच्छा से दे सकता है। इसका उद्देश्य राज्य में होने वाले विकास कार्यों में किसानों को शामिल करना है। इस पहल का नतीजा यह रहा कि ई-भूमि वेबपोर्टल पर अब तक 10,436 किसानों ने अपनी लगभग 26,837 एकड़ भूमि का पंजीकरण करा लिया है।
राजस्व सुधार के पीछे मंशा यह थी कि किसानों की जमीन का अधिग्रहण उनकी मर्जी के बगैर नहीं होना चाहिए। वहीं सहमति से होने वाले भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया में उन्हें उचित मुआवजा मिलना सुनिश्चित होना चाहिए।
एक अन्य पहल के तहत, राजस्व सुधार में गांवों के लाल डोरे के अंदर की प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दिलाना सबसे बड़ा प्रावधान है। चुनावी घोषणा पत्र को लागू करते हुए मुख्यमंत्री ने स्वामित्व योजना लागू कर गांव के लोगों को उनकी प्रॉपर्टी का अधिकार सौंप दिया। हरियाणा की इस योजना की लोकप्रियता को देखते हुए 24 अप्रैल, 2020 को इसे पूरे देश में ‘प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना’ के नाम से लागू किया गया। अब यह योजना ज्यादातर राज्यों में तेजी से लागू की जा रही है।
दरअसल, लाल डोरे के दायरे वाली प्रॉपर्टी का इसके पहले तक कोई रिकॉर्ड नहीं होता था। इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी प्रॉपर्टी को लेकर बहुत ज्यादा विवाद हैं। मालिकाना हक के झगड़ों से निचली अदालतें परेशान रही हैं। अब हरियाणा के सभी गांव लाल डोरा मुक्त हो चुके हैं, ज्यादातर लोगों को उनकी प्रॉपर्टी के कार्ड सौंप दिए गए हैं। इसके चलते राज्य में लगभग साढ़े चार हजार से अधिक संपत्तियों की रजिस्ट्रियां भी की जा चुकी हैं।

Advertisement

लेखक पूर्व आईएएस हैं।

Advertisement
Advertisement