मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

श्वासनली के ट्यूमर से होने वाले रक्तस्राव को नियंत्रित करने की तकनीक खोजी

06:59 AM Sep 22, 2023 IST

अम्बाला शहर, 21 सितंबर (हप्र)
बिना सर्जरी के सांस की नली के ट्यूमर से होने वाले भारी रक्तस्राव को डॉ. राजीव भारद्वाज एक ऐसी विधि से नियंत्रित करते हैं जो पद्धति इससे पहले सामने नहीं आई। एमएम अस्पताल मुलाना के एक प्रवक्ता के अनुसार ये दुनिया का पहला मामला है जहां ट्यूमर से होने वाले रक्तस्राव को इस तरह की पद्धति से नियंत्रित किया गया। अगर समय रहते ऐसा ना होता तो खून बहने से 48 साल के एक व्यक्ति की मौत भी हो सकती थी।
उन्होंने बताया कि एक 48 साल के पुरुष को दिल्ली में माने जाने अस्पताल से श्वास नली-लैरिंक्स का कैंसर होने का पता चला था। इसके बाद उन्हें कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई थी। सांस लेने में दिक्कत होने के कारण उनकी श्वासनली में पाइप डाला गया जिसे ट्रेकियोस्टोमी कहा जाता है। इसके बाद उनके मुंह से भारी रक्तस्राव होने लगा तो वह एमएम अस्पताल मुलाना के ईएनटी विभाग में आए।
उनका बीपी कम था और हीमोग्लोबिन-एचबी 6 ग्राम था। रक्तस्राव रोकने के लिए उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन और दवाएं दी गईं लेकिन रक्तस्राव जारी रहा। इसके बाद उन्हें किसी भी संभावित गैर सर्जिकल प्रक्रिया के तहत उनका रक्तस्राव रोकने के लिए उन्हें कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ. राजीव भारद्वाज को रेफर किया गया। उन्होंने उनकी गर्दन की धमनियों-कैरोटिड धमनियों की एंजियोग्राफी की और पाया कि उनकी बाहरी कैरोटिड धमनी फट गई
थी। उन्होंने उनकी इस बाहरी कैरोटिड धमनी को बिना सर्जरी के बंद कर दिया। जिसके बाद मरीज का खून बहना बंद हो गया लेकिन 3-4 घंटे बाद उनके मुंह से फिर से ज्यादा खून आने लगा। खून उनके फेफड़ों में भी जा रहा था और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। उनका एचबी अब 4 ग्राम था, मरीज को 3 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया।
इस दौरान कैरोटिड वाहिकाओं की उनकी एंजियोग्राफी से पता चला कि स्टंट वाली धमनी से यह खून नहीं बह रहा था। अब कोई विकल्प ना देखकर डॉ भारद्वाज ने एम्बोलिज़ेशन नाम की प्रक्रिया के तहत उन सभी चार धमनियों को बंद करने का निर्णय लिया जो सांस की नली लैरिंक्स को आपूर्ति करती है।
डॉ. भारद्वाज ने एक-एक करके दाएं और बाएं थायरॉइड धमनियों का परीक्षण किया और फिर इनमें पॉलीविनाइल क्लोराइड-पीवीसी कणों को इंजेक्ट किया और इन्हे कैनुलेट किया। इसके बाद धमनियों को रक्त की आपूर्ति को अवरुद्ध करने के लिए दाएं और बाएं निचले थायरॉयड धमनियों को भी कैनुलेट किया जाता है और इन्हे अवरुद्ध किया जाता है जिससे कि स्वरयंत्र और ट्यूमर में रक्त की सारी आपूर्ति अवरुद्ध हो गई।

Advertisement

Advertisement