सिलेबस पूरा करने तक सीमित न रहें शिक्षक : राजेश धर्माणी
कपिल बस्सी/निस
हमीरपुर, 18 अक्तूबर
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने शुक्रवार को गांव गजोह में पारुल विश्वविद्यालय, वडोदरा द्वारा आयोजित प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शिक्षकों से अपील की कि वे अपनी भूमिका को केवल सिलेबस पूरा करने तक ही सीमित न रखें। उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और देश एवं समाज के लिए आदर्श, चरित्रवान एवं संवेदनशील पीढ़ी तैयार करने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
धर्माणी ने कहा कि एक बच्चे की जिंदगी में बदलाव लाने से बड़ा कोई और प्रोजेक्ट नहीं हो सकता। इसलिए, शिक्षक की भूमिका को सर्वोपरि माना जाता है।” उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद यदि हमारे देश ने अभूतपूर्व तरक्की की है, तो उसमें शिक्षकों का भी बहुत बड़ा योगदान है।
उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शिक्षकों की महत्ता को मान्यता देते हुए उनके लिए सम्मानजनक वेतनमान की व्यवस्था की थी, ताकि इस प्रतिष्ठित और पवित्र व्यवसाय में सर्वश्रेष्ठ लोग आ सकें। धर्माणी ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा पर लगभग 20 प्रतिशत बजट खर्च कर रही है और सरकारी शिक्षण संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त एवं प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही हैं।
धर्माणी ने कहा कि केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि कृषि, बागवानी और कई अन्य क्षेत्रों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त विशेषज्ञों की नियुक्तियों के अपेक्षाकृत परिणाम लाने के लिए हमें बच्चों के जीवन की शुरुआत से ही एक वेल्यू सिस्टम विकसित करना होगा और उन्हें एक अच्छा इकोसिस्टम उपलब्ध कराना होगा।
उन्होंने पारुल विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें न केवल विद्यार्थियों के बेहतरीन शिक्षण-प्रशिक्षण पर बल देना होगा, बल्कि उनमें मानवीय मूल्य विकसित करने पर भी विशेष ध्यान देना होगा। तभी हमारा देश सही मायने में विकसित राष्ट्र बनेगा।