शिक्षकों को पहले मूर्त और फिर अमूर्त रूप से शिक्षा देनी चाहिए
समालखा, 8 मई (निस)
जिला शिक्षा अधिकारी बिजेंदर नरवाल ने शिक्षकों का आह्वान किया कि सभी शिक्षक सबसे पहले मूर्त रूप में बच्चों को शिक्षित करें, उसके बाद अमूर्त रूप में शिक्षा प्रदान करें ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें। इससे बच्चा आसानी से समझ सकेगा और उसकी पकड़ भी मजबूत बनेगी।
डीईओ बुधवार को भापरा रोड स्थित राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित शिक्षकों के तीसरे बैच के प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन विधि में कुछ घटनाओं, अवधारणाओं व सिद्धांतों को दिखाया, चित्रित किया जाना चाहिए। समारोह को खंड शिक्षा अधिकारी नीलम कुंडू व खंड संसाधन अधिकारी अनीता गर्ग ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि निपुण भारत कार्यक्रम के दिशानिर्देश में साक्षरता कौशल के निर्माण के लिए रोल प्ले के महत्व पर जोर दिया गया है। रोल प्ले को भाषा शिक्षण की ऐसी प्रभावी गतिविधि माना गया है, जो कि छात्रों में अभिव्यक्ति की दक्षता को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है ।
प्रशिक्षण शिविर में केआरपी हरीश सोहेल, रेनू बेनीवाल, संतोष, बबीता ने सयुंक्त रूप से बताया कि अध्यापकों द्वारा शिक्षक-संदर्शिका की पाठ योजना के आधार पर कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्य पुस्तिका में ही बच्चों का मूल्यांकन किया जाएगा।
इस अवसर पर राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य दुर्गा देवी, डाइट पानीपत से तकदीर, यशपाल एबीआरसी बलराज, बीआरपी प्रवीण मुवाल,अध्यापक नारायण, राजपाल, प्रदीप, अनुराधा, हीना, नवीन, रविंद्र, राकेश, मीनाक्षी, प्रीति, पुष्पा सहित अन्य अध्यापक-अध्यापिकाएं भी मौजूद थे।