टाटा समूह को मिल ही गया नया रत्न नोएल
अरुण नैथानी
एक हकीकत है कि कभी कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का विकल्प नहीं बन सकता। हर व्यक्ति को कुदरत विशिष्ट दायित्वों के लिये खास गुणों के साथ तैयार करती है। फिर रतन टाटा जैसे विराट व्यक्तित्व का विकल्प बनना तार्किकता से परे है। इसके बावजूद टाटा संस जैसे विशाल आर्थिक साम्राज्य को चलाने के लिये योग्य रत्न की जरूरत तो थी। आखिरकार टाटा ट्रस्ट को अपना नया रत्न नोएल टाटा के रूप में मिला है। हाल ही में रतन टाटा के निधन के बाद सर्वसम्मति से नोएल को उस टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया है, जो तमाम परोपकार के कार्य करने के साथ ही टाटा संस को संचालित करता है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल भले ही प्रचार से दूर रहे, लेकिन वे टाटा समूह से पिछले चार दशक से जुड़े हैं। रतन टाटा के निधन के बाद अटकलें लगायी जा रही थी कि उन तेरह ट्रस्टों की कमान किसके हाथ में होगी, जिनकी चौंतीस लाख करोड़ रुपये वाले टाटा समूह में 66.4 फीसदी की हिस्सेदारी है। यह तय था कि जो व्यक्ति इन ट्रस्टों का नेतृत्व करेगा, वही टाटा समूह का दायित्व संभालेगा। दरअसल, नोएल सभी ट्रस्टों में सबसे ताकतवर दोराबजी टाटा ट्रस्ट व सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं, जिनकी टाटा संस में 55 फीसदी भागीदारी है। फलत: इसमें सबसे बड़ी दावेदारी नोएल की ही थी।
वास्तव में रतन टाटा के सौतले भाई नोएल फिलहाल टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में शामिल रहे हैं। नवल एच. टाटा और सिमोन एन. टाटा के पुत्र नोएल की कार्यशैली अलग ही मानी जाती है। सुर्खियों से दूर रहकर काम करना पसंद करने वाले नोएल टाटा समूह की कई कंपनियों के बोर्ड में शामिल रहे हैं। वे टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन तथा टाटा स्टील तथा टाइटन कंपनी लि. के वाइस चेयरमैन हैं।
साल 1957 में जन्मे नोएल ने आरंभिक पढ़ाई मुंबई में करने के बाद इंग्लैंड स्थित ससेक्स यूनिवर्सिटी से स्नातक परीक्षा पास की। तदुपरांत फ्रांस के इनसीड बिजनेस स्कूल से इंटरनेशनल एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम भी किया। उनका विवाह शापूरजी पालोनजी समूह के अध्यक्ष रहे तथा टाटा समूह में बड़े शेयरधारक पालोनजी मिस्त्री की बेटी अलू मिस्त्री से हुआ। पहले आलू मिस्त्री के भाई साइरस मिस्त्री को ही रतन टाटा का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। जिन्हें कालांतर रतन टाटा से मतभेद के बाद 2016 में पद से हटा दिया गया था। फिर कुछ महीने रतन टाटा के टाटा संस का अध्यक्ष रहने के बाद नटराज चंद्रशेखरन को टाटा संस का अध्यक्ष बनाया गया था। नोएल का एक बेटा नेविल और बेटी लिहा व माया टाटा समूह में विभिन्न दायित्वों को निभा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रतन टाटा के सगे भाई जिमी भी अविवाहित हैं और एकांतप्रिय हैं। लेकिन उनकी टाटा की कंपनियों में भागीदारी है और कई ट्रस्टों के ट्रस्टी भी हैं।
वास्तव में नोएल का भी अपना विशिष्ट व्यक्तित्व है। ट्रैवलिंग के साथ उनका बड़ा शौक किताबें पढ़ना है। जिज्ञासा के साथ लगातार सीखना उनका विशिष्ट गुण है। वे यात्राओं के जरिये दुनिया की विविध संस्कृतियों से रूबरू होते हैं। तेज गति से कार चलाना उनका जुनूनी शौक है। टाटा समूह में उनकी शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी। उनको समूह की रिटेल कंपनी ट्रेंट का कायाकल्प करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने वर्ष 2018 में टाइटन कंपनी के वाइस चेयरमैन, 2022 में टाटा स्टील के वाइस चेयरमैन तथा ग्यारह वर्ष तक ट्रेंट के एम.डी. के रूप में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। सदी के दूसरे दशक में टाटा इंटरनेशनल लि. के एमडी रहे। उन्होंने कंपनी को सफलता की नई ऊंचाइयांं दी। नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा 2016 में ट्रेंट का हिस्सा बने और अब स्टार बाजार के प्रमुख हैं। वहीं नोएल टाटा की बेटी लिहा को इंडियन होटल्स में गेटवे ब्रांड का दायित्व दिया गया है। वहीं दूसरी बेटी माया टाटा डिजिटल में अहम भूमिका निभा रही है।
उल्लेखनीय है कि नोएल ने टाटा इंटरनेशनल, ट्रेंट, वोल्टाज और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में विभिन्न दायित्वों से अपनी प्रतिभा का परिचय पहले ही दे दिया था। वे प्रचार-प्रसार से दूर रहकर चुपचाप अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे हैं। उनकी भूमिका पिछले चार दशक के दौरान सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट व रतन ट्रस्ट में बनी रही। बताया जाता है कि शुरुआत में रतन टाटा से नोएल के संबंध सहज नहीं रहे, लेकिन कालांतर टाटा संस में उनकी भूमिका लगातार बढ़ी है। फिर वर्ष 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में भी शामिल किया गया। वे करीब एक दशक तक टाटा रिटेल चेन ट्रेंट के चेयरमैन रहे और उन्होंने पूरे देश में ट्रेंट की शृंखला को अपार विस्तार दिया। आज इसके सात सौ से ज्यादा स्टोर हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि टाटा ट्रस्ट के परोपकारी कार्यों की समृद्ध परंपरा को वे नया विस्तार देंगे।
रोचक पहलू यह भी है कि स्विस व्यवसायी मां सिमोन टाटा के बेटे नोएल के पास आयरलैंड की नागरिकता है। जिसकी वजह उनके परिवार के वैश्विक संबंध होना बताया जाता है। टाटा समूह से जुड़ने से पहले वे ब्रिटेन में रहकर नेस्ले के लिये काम कर चुके हैं। लेकिन वे लगातार भारत में ही रहकर काम करते हैं। विश्वास करें कि टाटा ट्रस्ट के मुखिया के रूप में वे भारत में सामाजिक दायित्वों व सामुदायिक विकास में परिवार की परंपरा को समृद्ध करेंगे।