‘नाबाद’ के बहाने ‘बाद’ की बातें
अजित वडनेरकर
हिन्दी में क्रिकेट की शब्दावली का एक जाना-पहचाना शब्द है नाबाद। पारी के समाप्त होने तक अगर कोई खिलाड़ी मैदान में डटा रहता है तो उसे नॉट आउट यानी नाबाद कहते हैं। यह शब्द आया कहां से? नाबाद शब्द का जन्म मराठी की कोख से हुआ है मगर मूलतः यह यौगिक शब्द है और अरबी के बाद शब्द में हिन्दी फ़ारसी का ना उपसर्ग लगने से बना। बाद शब्द का मूल अरबी रूप है ब’अद जिसके मायने हैं दूरस्थ, सुदूरवर्ती, फ़ासले पर, अलग या पृथक आदि। परवर्ती विकास के दौरान इसका अर्थ विस्तार हुआ। गौरतलब है कि दूरस्थ या सुदूरवर्ती जैसा भाव सापेक्ष है अर्थात् एक बिन्दु विशेष से किसी स्थान या वस्तु की स्थिति बताने के लिए सुदूरवर्ती शब्द का प्रयोग होता है। अब देखिए कि किस तरह अर्थवत्ता विकसित होती है। बाद में पश्चातवर्ती भाव का विकास अंतराल से जुड़ा है। विस्तार के दो बिन्दुओं के बीच अंतराल होता है। जो दूरवर्ती है, उसका विलोम निकटवर्ती है। जाहिर है निकट के आगे कहीं दूर है।
जर्मन भाषाशास्त्री एमएम ब्रॉमनन स्टडीज़ इन सेमिटिक फ़िलोलॉजी में बाद शब्द पर विस्तार से चर्चा करते हैं। मराठी में बाद का अर्थ स्थगित करना, निकालना, हटाना होता है। सामान्य तौर पर ‘बाद में’ अब एक टर्म या पद का दर्जा पा चुका है जिसमें किसी काम को न करने, टालने या स्थगित करने का भाव ही अधिक है। बाद में देखेंगे या बाद में करेंगे, बाद में आना, बाद में चलेंगे में यही भाव है कि अभी कुछ होने की फिलहाल उम्मीद नहीं है। अभी की सूची से उसे निकाला जा चुका है। उसे आगे कभी होना है। इस आगे में जो विस्तार है वही ब’अद है। इसमें जो स्थगिति है वही ब’अद है। इसमें जो निकाले जाने का भाव है वही ब’अद है और इसका रूपान्तर बाद है।
हिन्दी-उर्दू के बाद में पश्चातवर्ती भाव प्रमुखता से बना रहा जबकि मराठी में विस्तार, अंतराल, निकालना जैसे भाव प्रमुख रूप से विकसित हुए। इसीलिए मराठी में बाद के साथ ना उपसर्ग लगाने से बने नाबाद शब्द का अर्थ डटे रहना, अविजित रहना, बने रहना, कायम रहना आदि हुआ। क्रिकेट की शब्दावली में बड़ी सहजता से मराठी में ही सबसे पहले नॉट आउट के लिए नाबाद शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ जिसे हिन्दी में भी खुशी-खुशी और खिलाड़ी भाव से अपनाया गया।
साभार : शब्दावली डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम