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प्रतिभाओं का राजनीति में आना

08:10 AM Sep 23, 2024 IST

जन संसद का मानना है कि विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं का राजनीति में आना आम है। वहीं कुछ लोग इसे राजनीति का शार्टकट मानते हैं। कुछ मानते हैं कि उन्हें सेवा-समर्पण से कार्य करके नई लकीर खींचनी चाहिए।

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जनसेवा का माध्यम बनाएं

विभिन्न क्षेत्रों जैसे खेल, फिल्म उद्योग और कला-संस्कृति में ख्याति प्राप्त करने के बाद कई लोग राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह किसी भी क्षेत्र में कार्य कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में नाम कमाने के बाद राजनीति में आता है, तो इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि ये लोग राजनीति को जनसेवा का माध्यम समझें और कमजोर व असहाय लोगों के लिए मसीहा बनकर उभरें।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

राजनीति की चकाचौंध

राजनीति कुछ लोगों के खून में होती है, कुछ को विरासत में मिलती है, और कुछ दूसरों की कूटनीति का शिकार होकर इसमें प्रवेश करते हैं। विनेश फोगाट का राजनीति में आगमन इसी तीसरे कारण से हुआ है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने शिक्षा, सिनेमा और खेल की नामचीन हस्तियों की लोकप्रियता को भुनाने के लिए उनका ‘उपयोग’ किया है। विनेश का मामला भी इसी श्रेणी में आता है। कथित यौन शोषण के आरोपों के चलते कुश्ती संघ और पहलवान के बीच चली लंबी लड़ाई से सत्ताधारी दल की किरकिरी का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस ने उसे उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस की रणनीति से वह राजनीति की चकाचौंध का हिस्सा बनी।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

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प्रशंसकों की असहजता

फिल्मी सितारे, कला-संस्कृति और खेल से जुड़ी हस्तियां अक्सर राजनीति में कदम रखती हैं। उनकी उपलब्धियों और लोकप्रियता के कारण उन्हें सम्मान मिलता है, लेकिन राजनीति में आने के बाद वे किसी विशेष दल के साथ जुड़ जाते हैं। इससे उनके प्रशंसकों में असहजता उत्पन्न हो सकती है। सक्रिय राजनीति में आने का अधिकार सबको है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि ये हस्तियां अपने क्षेत्र की पहचान को न भूलें और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करें। राजनीति में उनका योगदान तब सार्थक होगा जब वे सामाजिक मुद्दों पर ध्यान दें और जनहित की सोच को आगे बढ़ाएं।
मुकेश भट्ट, लुधियाना

सोच-समझकर फैसला लें

हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां हर नागरिक को मत का प्रयोग करने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। खेल, फिल्म या संगीत की हस्तियों का राजनीति में आना सार्थक तभी माना जाएगा जब वे गलत कामों का विरोध करें। साथ ही राजनीतिक दलों की कठपुतली भी न बनें। आज देश की राजनीति का स्तर कुछ गलत लोगों के कारण गिर चुका है। किसी भी क्षेत्र के सेलिब्रिटी के राजनीति में आने से उनकी छवि पर असर पड़ सकता है। इसलिए उन्हें राजनीति में कदम रखने से पहले सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

मार्गदर्शन करें

कुछ फिल्मी सितारों, कला और खेल की हस्तियों को समय-समय पर राज्यसभा में नामांकित किया जाता है या चुनाव में उतारा जाता है। चुनाव से पहले ये सभी के चहेते होते हैं, लेकिन पार्टी का हिस्सा बनने पर कुछ लोगों की राय बदल जाती है। यह चर्चित हस्तियों का राजनीतिक दुरुपयोग है। अधिकांश फिल्मी सितारे और खिलाड़ी राजनीति में सफल नहीं हो पाते, जैसे अमिताभ बच्चन और गोविंदा, जिन्होंने राजनीति में प्रवेश के बाद वापसी की। ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अपने-अपने क्षेत्र के जरिये लोगों का का मार्गदर्शन करना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक

पुरस्कृत पत्र

प्रसिद्धि भुनाना

किसी अन्य क्षेत्र में महारत का मतलब यह नहीं है कि आप सफल राजनीतिज्ञ भी बन सकते हैं। खेल या फिल्म की तरह, राजनीति में भी राजनीतिक कौशल आवश्यक है। कई हस्तियां चुनाव जीतने तक सीमित रह जाती हैं, क्योंकि वे जनता से जुड़ने में असफल होती हैं। इनकी राजनीतिक असफलता अन्य क्षेत्रों में मिली सफलता को भी प्रभावित कर देती है। राजनीतिक दल इनसे गंभीर राजनीति की उम्मीद नहीं रखते और उन्हें अपनी सीटें बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं। यह दर्शाता है कि राजनीति में सिर्फ नाम या प्रसिद्धि से सफलता नहीं मिलती।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.

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