रूटीन लाइफ से ब्रेक ले पटरी पर लायें जिंदगी
खासकर पेशेवर युवा बर्नआउट से ग्रस्त हो रहे हैं। लगातार तनाव में रहना, उमंग व फोकस की कमी तथा उदासीन रवैया बर्नआउट के संकेत हैं। इससे उनका शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है व जिंदगी के दूसरे पहलू भी। ऐसे में कार्य से ब्रेक लेना लाभकारी है वहीं रोज खुद के लिए समय निकालें, कोई हॉबी अपनाएं व दोस्तों से बातचीत बढ़ाएं।
शिखर चंद जैन
हाल ही एक विख्यात ऑडिट फर्म की 24 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट युवती की मां ने उच्चतम स्तर तक गुहार लगाते हुए कहा कि उनकी बेटी की मृत्यु ओवरवर्क और स्ट्रेस के कारण हो गई। उन्होंने अपने पत्र में अपनी वेदना प्रकट करते हुए कहा कि मेरी बेटी काम के बोझ के कारण अपने तन और मन की सेहत का बिलकुल ख्याल नहीं रख पा रही थी। उसे ‘ना’ कहना नहीं आया इसीलिए उसकी यह स्थिति हुई। कई शोधों के नतीजे भी बताते हैं कि बड़ी संख्या में भारतीय युवा ओवरवर्क और वर्क स्ट्रेस का शिकार हैं। इसीलिए युवा बेचैन, परेशान और उदास रहते हैं।
क्या आजकल आपका भी मन अक्सर उदास रहने लगा है? जीवन में उमंग की कमी, काम में कंसंट्रेशन की कमी और खुद को अकेला सा महसूस करने लगी हैं? आपको अपने आसपास होने वाली घटनाओं से कोई खास फर्क नहीं पड़ता? अगर इनमें से एक भी सवाल का जवाब हां में है, तो बहुत संभव है कि आप बर्नआउट की शिकार हो चुकी हैं।
बर्नआउट के संकेत
व्यवहार विशेषज्ञ बताते हैं कि जब तन और मन लम्बे समय तक अत्यधिक स्ट्रेस में रहने लगते हैं, तो शारीरिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से इंसान थक जाता है या चुक जाता है। यही स्थिति बर्नआउट कहलाती है।
स्ट्रेस और बर्नआउट में अंतर
स्ट्रेस और बर्नआउट में अंतर है। स्ट्रेस एक सामान्य स्थिति है और हम सब कभी न कभी स्ट्रेस में आ जाते हैं। यह कुछ समय रहता है, फिर खुद-ब-खुद गायब हो जाता है। लेकिन जब हम लम्बे समय तक और अधिक स्तर पर अवसादग्रस्त रहते हैं, जिससे हमारी पारिवारिक, शारीरिक, सामाजिक और व्यावसायिक जिंदगी प्रभावित होने लगती है, तो यह स्थिति बर्नआउट कहलाती है।
बचाव के उपाय
‘दी लाइट हाउस आर्गेनाइजेशन’ और ‘दी ह्यूमन डेवलपमेंट एक्सपर्ट्स’ की मुख्य अधिकारी अपर्णा सैमुअल बालासुंदरम की रिपोर्ट के मुताबिक, बर्नआउट से बचाव और इसका इलाज भी संभव है। बस कुछ आसान से मशविरों पर अमल करना होगा।
अपनी प्रॉब्लम पहचानें
बर्नआउट से निपटने का सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है, समस्या की पहचान। आपको यह मानना होगा कि आप इस समस्या से ग्रस्त हो चुकी हैं। जब आप समझ जाएं कि आप लगातार और ज्यादा प्रेशर में या स्ट्रेस में रहने लगी हैं, तो आपको अगला निवारक कदम उठाना होगा।
रुटीन वर्क से ब्रेक
आप कोई ऑनलाइन मोबाइल या विडियो गेम खेलते-खेलते बीच में विश्राम लेने के लिए अकसर ‘पॉज’ बटन दबाती ही होंगी। ठीक इसी प्रकार अपनी जिन्दगी के व्यस्त रुटीन का भी ‘पॉज’ बटन दबा दें। अपने रुटीन और जीवनशैली का गंभीरतापूर्वक आकलन करें और गैरजरूरी गतिविधियों को बेरहमी से काट-छांट कर अलग कर दें। अपनी प्राथमिकताओं को पहचानें। कौन से काम सचमुच जरूरी और महत्वपूर्ण हैं और किन कामों में आप बेवजह अपनी ऊर्जा और समय बर्बाद कर रही हैं। अपनी व्यक्तिगत और पेशागत जिम्मेदारियां पहचानें और खुद को यह समझाना भी सीख लें कि सबको खुश रखना आपका काम नहीं है।
अपना सपोर्ट सिस्टम बनाएं
जब आप बर्नआउट की स्थिति से जूझ रही होती हैं, तो आपको भावनात्मक सहारा देने के लिए कुछ अजीज मित्रों की आवश्यकता होती है। इन मित्रों से आप अपने मन की बात कहकर दिल का बोझ हल्का कर सकती हैं। कौंसलर, थेरेपिस्ट आदि से सलाह के साथ-साथ पारिवारिक सदस्यों, मित्रों, जीवन साथी आदि से भी मन की उलझनें खुलकर बयान कर सकती हैं। इससे मन की उलझी ग्रंथी तो खुलेगी ही, आपको सही मार्गदर्शन और उनकी मदद मिलेगी। इस हेल्प ग्रुप को कारगर और उपयोगी बनाने के लिए समय-समय पर आपको भी उनकी मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
रोज कुछ समय सिर्फ खुद के लिए
आप सुबह से शाम तक कभी बच्चों के लिए, कभी पति के लिए, कभी सास-ससुर के लिए, कभी बॉस के लिए तो कभी पड़ोसियों या रिश्तेदारों के लिए ही कुछ न कुछ करती रहती हैं। लेकिन आपके पास खुद के लिए कभी समय नहीं होता। न अच्छा खाने के लिए, न ठीक से बन-संवर कर रहने के लिए और न अपनी हॉबीज पूरी करने के लिए। समस्या की जड़ तो यही है। तय कर लें कि साल में एक बार कम से कम एक हफ्ते का ब्रेक घर से बाहर लेंगी, महीने में एक बार अपनी पसंद की जगह दो-चार घंटे बिताएंगी और पखवाड़े में एक बार जरूरत पड़ने पर ब्यूटी पार्लर जाएंगी या खुद को पैंपर करेंगी और दिन का कम से कम एक या आधा घंटा अपनी अपनी मर्जी से गाने सुनकर, किताबें पढ़कर या कोई हास्य धारावाहिक देखकर बिताएंगी।
तीन ई’ज से लाइफ ईजी
तीन ई यानी एक्सरसाइज, ईटिंग हेल्दी और एंटरटेनमेंट आपकी लाइफ को ईजी बना देंगे। हर रोज अपनी फिटनेस के लिए मॉर्निंग वॉक, वर्कआउट, योगा आदि पर कम से कम 30 से 45 मिनट दें, पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें, और अपने मनोरंजन के लिए कुछ न कुछ जरूर करें। आप चाहें तो बागवानी, रीडिंग, सुडोकू, क्रॉसवर्ड, म्यूजिक, आउटडोर गेम्स (बैडमिंटन, कबड्डी) किसी भी तरीके से अपनी मनोरंजन कर सकती हैं। हां! एक बार बर्नआउट से उबरकर जिन्दगी की गाड़ी पटरी पर आ जाए, तो ऐसा न हो कि आप फिर से पुराने ढर्रे पर आ जाएं। अपनी जिन्दगी को व्यवस्थित और अनुशासित तरीके से जिएंगी, तो सदा खुश और ऊर्जावान रहेंगी।