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अविद्या की पूंछ

06:36 AM May 01, 2024 IST
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स्वामी रामकृष्ण परमहंस केशव सेन से मिलने गए तो उन्हें देखकर बोले, ‘अरे! इसकी पूंछ गिर गई है।’ यह सुनकर वहां बैठे सभी लोग हंस पड़े। पर केशवसेन जानते थे कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस कोई भी बात अन्यथा नहीं कहते सो उन्होंने उनसे उनके कहे का अर्थ पूछा। परमहंस जी ने उत्तर दिया, ‘जब तक मेढक के बच्चे की पूंछ नहीं गिर जाती, तब तक उसे पानी में ही रहना पड़ता है, वह किनारे से चढ़कर सूखी जमीन में विचर नहीं सकता। पर ज्यों ही उसकी पूंछ गिर जाती है, त्यों ही वह उछलकर जमीन पर आ जाता है, तब वह पानी में भी रह सकता है और जमीन पर भी। उसी तरह आदमी की जब तक अविद्या की पूंछ नहीं गिर जाती, तब तक वह संसार रूपी जल में ही पड़ा रहता है। उसके गिर जाने पर-ज्ञान होने पर, मुक्तभाव से मनुष्य विचरण कर सकता है और इच्छा होने पर संसार में भी रह सकता है।’ स्वामी रामकृष्ण परमहंस के कृपाभाव का अर्थ सबको समझ आ गया।

प्रस्तुति : भागीरथ कुमार

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