Syrian Civil War: सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति असद उनके परिवार को मॉस्को में मिली शरण
बेरूत, 9 दिसंबर (एपी)
Syrian Civil War: रूस की समाचार एजेंसियों की खबरों के अनुसार सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद अपने परिवार के साथ मॉस्को पहुंच गये हैं और उन्हें शरण दी गई है। इससे कुछ घंटे पहले ही विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क में घुसकर असद परिवार के 50 साल के शासन का अंत कर दिया था।
रूसी समाचार एजेंसियों, ‘तास' और ‘आरआईए' ने राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन' एक अज्ञात स्रोत का हवाला देते हुए बताया कि असद और उनके परिवार को मॉस्को में शरण दी गई है।
‘एसोसिएटेड प्रेस' तत्काल इन खबरों की पुष्टि नहीं कर पाया है, हालांकि प्रतिक्रिया के लिए क्रेमलिन से संपर्क किया गया है। ‘आरआईए' की खबर में क्रेमलिन के अज्ञात सूत्र का हवाला देते हुए यह भी बताया है कि सीरियाई विद्रोहियों की ओर से रूस को सीरिया में रूसी सैन्य ठिकानों और राजनयिक कार्यालयों की सुरक्षा की गारंटी मिली है। हालांकि खबर में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई।
असद कथित तौर पर रविवार तड़के सीरिया से रवाना हुए थे। सीरिया की राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के साथ ही असद परिवार के 50 वर्ष के शासन का अंत हो गया है। दमिश्क में चौराहों पर जश्न मनाती हुई भीड़ इकट्ठा हुई और सीरियाई क्रांतिकारी ध्वज लहराया जिससे ‘अरब स्प्रिंग' विद्रोह के शुरुआती दिनों की याद ताजा हो गई।
असद और अन्य शीर्ष अधिकारियों की कोई खबर न होने के बाद अनेक लोगों ने राष्ट्रपति भवन और असद परिवार के आवास में तोड़फोड़ की। असद के करीबी सहयोगी रहे रूस ने कहा कि असद ने विद्रोही समूहों के साथ बातचीत के बाद देश छोड़ दिया और उन्होंने शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरण के निर्देश दिए थे।
वर्षों पहले अलकायदा से नाता तोड़ने वाला अबू मोहम्मद अल-गोलानी सबसे बड़े विद्रोही गुट का नेता है और वह अब देश के भविष्य की दिशा तय करेगा। अलकायदा से अलग होने के बाद वह बहुलवाद और धार्मिक सहिष्णुता को महत्व देने की बात कहता रहा है। असद के शासन का अंत ईरान और उसके सहयोगियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो पहले से ही इजराइल खिलाफ एक साल से अधिक समय से जारी संघर्ष के कारण कमजोर हो गए हैं।
पूरे गृहयुद्ध के दौरान असद का पुरजोर समर्थन करते रहे ईरान ने कहा कि सीरियाई लोगों को विनाशकारी विदेशी हस्तक्षेप के बिना अपने देश का भविष्य तय करना चाहिए।
इस बीच, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अशांति के चलते सीरियाई सैनिकों के अपने मोर्चों से हटने के बाद इजरायली सैनिकों ने 1974 में गोलान हाइट्स में बनाए गए एक ‘बफर जोन' पर कब्जा कर लिया है। विद्रोहियों को युद्ध से तबाह और विभिन्न सशस्त्र गुटों में विभाजित देश की व्यवस्था को दुरुस्त करने की कठिन चुनौती का सामना करना होगा।
सीरियाई सरकारी टैलीविजन चैनल ने कुछ विद्रोहियों के एक समूह का वीडियो बयान प्रसारित किया, जिसमें वे यह कहते नजर आए कि राष्ट्रपति बशर असद को सत्ता से बाहर कर दिया गया है और जेल में बंद सभी कैदियों को रिहा किया जा चुका है। वीडियो में बयान पढ़ते दिख रहे व्यक्ति ने कहा कि ‘ऑपरेशंस रूम टू कॉन्कर दमिश्क' ने सभी विद्रोही लड़ाकों और नागरिकों से ‘‘स्वतंत्र सीरियाई देश'' की सरकारी संस्थाओं को संरक्षित रखने का आह्वान किया है।
विद्रोहियों ने दमिश्क में शाम चार बजे से शाम पांच बजे तक कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुख्यात सैयदनाया जेल में बंद लोगों को रिहा कर दिया है। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि सैयदनाया जेल में हजारों लोगों को प्रताड़ित किया गया और मार दिया गया।
विद्रोही ऑनलाइन प्रसारित एक वीडियो में जेल की कोठरियों को तोड़ते और दर्जनों महिला कैदियों को मुक्त करते दिखे। बाद में, सरकारी टेलीविजन पर दिखे विद्रोही कमांडर अनस सलखादी ने सीरिया के धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘सीरिया सभी के लिए है, कोई अपवाद नहीं है।
सीरिया ड्रूज़, सुन्नियों, अलावियों और सभी संप्रदायों के लिए है।'' उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के साथ हम उस तरह से व्यवहार नहीं करेंगे जैसा असद परिवार ने किया था।'' वहीं, सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी जलाली ने एक वीडियो बयान जारी करके कहा कि वह शासन की बागडोर शांतिपूर्ण तरीके से विद्रोहियों को सौंपने के लिए तैयार हैं।
जलाली ने कहा, ‘‘मैं अपने आवास पर ही हूं। मैं कहीं नहीं गया हूं क्योंकि मुझे अपने देश से प्रेम है।'' उन्होंने कहा कि वह सुबह काम करने के लिए अपने कार्यालय जाएंगे। उन्होंने सीरियाई नागरिकों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने का आग्रह किया।
‘सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' के रामी अब्दुर्रहमान ने ‘एसोसिएटेड प्रेस' को बताया कि असद ने रविवार तड़के दमिश्क से उड़ान भरी थी। सीरियाई लोगों की भीड़ रविवार सुबह दमिश्क के चौराहों पर जश्न मनाने के लिए एकत्र हुई, उसने असद विरोधी नारे लगाए। कुछ इलाकों में जश्न में गोलियां भी चलाई गईं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा कि बशर अल-असद के नेतृत्व वाली सीरियाई सरकार का अचानक पतन दशकों के दमन के बाद “न्याय का एक मूलभूत कार्य” है, लेकिन यह मध्य पूर्व के लिए “जोखिम और अनिश्चितता का क्षण” भी है। यह 2018 के बाद पहली बार है जब विद्रोही दमिश्क के भीतर पहुंच गए।
सीरियाई सैनिकों ने वर्षों की घेराबंदी के बाद 2018 में राजधानी के बाहरी इलाकों पर फिर से कब्जा कर लिया था। सरकार समर्थक ‘शाम एफएम रेडियो' ने बताया कि दमिश्क हवाई अड्डे को खाली करा लिया गया है और सभी उड़ानें रोक दी गई हैं। सीरिया के विद्रोही गुट ‘हयात तहरीर अल-शाम' समूह (एचटीएस) प्रमुख अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने बृहस्पतिवार को सीरिया से ‘सीएनएन' को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा था कि इस हमले का उद्देश्य असद की सरकार को हटाना है।
असद 2000 में सत्ता पर आसीन हुए थे। उनके पिता बशर के सबसे बड़े भाई बासिल अल असद को अपना उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश में थे, लेकिन 1994 में दमिश्क में एक कार दुर्घटना में बासिल की मौत हो गई। बशर-अल- असद पर गृहयुद्ध के दौरान युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध का आरोप लगाया गया है, जिसमें 2013 में राजधानी के बाहरी इलाके में रासायनिक हथियारों से हमला भी शामिल है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि उन्हें ‘‘सीरियाई लोगों के लिए खेद है।''
रूस असद का मुख्य समर्थक है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वह अपने कुछ कर्मचारियों को एहतियात के तौर पर देश से निकाल रहा है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि अमेरिका को सीरिया में सैन्य कार्रवाई से बचना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह हमारी लड़ाई नहीं है।''
सीरिया में विद्रोहियों के अप्रत्याशित हमले की शुरुआत 27 नवंबर को हुई थी जब बंदूकधारियों ने सीरिया के सबसे बड़े उत्तरी शहर अलेप्पो और देश के चौथे सबसे बड़े शहर हमा पर कब्जा कर लिया था। असद की सरकार के रविवार को गिरने के साथ ही सत्ता पर काबिज रहने के उनके लगभग 14 साल के संघर्ष का नाटकीय अंत हो गया।
सीरियाई गृहयुद्ध में लगभग पांच लाख लोग मारे गए हैं और देश की आधी आबादी विस्थापित हो गई है। जैसे-जैसे विद्रोह गृहयुद्ध में तब्दील होता गया, लाखों सीरियाई लोग सीमा पार करके जॉर्डन, तुर्किये, इराक और लेबनान और यूरोप की ओर भाग गए।