मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न पर बोलीं Swara Bhaskar, रिपोर्ट पढ़कर दिल टूट गया
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा)
Swara Bhaskar: न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के चौंकाने वाले खुलासों के बीच अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने कहा कि मनोरंजन उद्योग में हमेशा एक पितृसत्तात्मक व्यवस्था रही है जिसमें अगर कोई महिला बोलती है तो उसे मुसीबत पैदा करने वाली कहा जाता है।
स्वरा इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने वाली, हिंदी फिल्म उद्योग की पहली कलाकार हैं। उन्होंने इसे केरल का ‘मीटू' अभियान बताया और न्यायमूर्ति हेमा समिति की 233 पृष्ठों की रिपोर्ट पढ़ने के बाद इंस्टाग्राम पर एक नोट लिखा।
उन्होंने कहा, 'क्या भारत में किसी अन्य भाषा का फिल्म उद्योग ऐसी चीजों के बारे में बात कर रहा है? जब तक हम उन कड़वी सच्चाइयों का सामना नहीं करते हैं जिनके बारे में हम सभी जानते हैं, तब तक कमजोर वर्ग सत्ता के मौजूदा दुरुपयोग का खमियाजा भुगतते रहेंगे...।'
अभिनेत्री ने कहा, 'समिति की रिपोर्ट पढ़कर दिल टूट गया है। दिल इसलिए भी टूटा है क्योंकि मैं इस स्थिति से अच्छी तरह परिचित हूं। हो सकता है कि कुछ विवरण अलग हों, लेकिन महिलाओं ने जो बातें कही हैं उनकी वृहद तस्वीर से मैं अच्छी तरह वाकिफ हूं।'
स्वरा ने कहा, 'फिल्म उद्योग हमेशा एक पुरुष केंद्रित उद्योग रहा है, वहां एक पितृसत्तात्मक व्यवस्था रही है।' 'तनु वेड्स मनु', 'नील बटे सन्नाटा' और 'वीरे दी वेडिंग' जैसी फिल्मों के लिए पहचानी जाने वाली स्वरा ने कहा कि दुनियाभर के फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न की व्यापकता को चुप्पी ने 'सामान्य' बना दिया है।
दुर्व्यवहार रोकने के लिए न्यायमूर्ति हेमा समिति की ‘बहुत जरूरत' थी : अभिनेत्री खुशबू
अभिनेत्री-नेता खुशबू सुंदर ने बुधवार को कहा कि मलयालम सिनेमा में महिला पेशेवरों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकने के लिए केरल सरकार द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति हेमा समिति की 'बहुत आवश्यकता' थी और उन्होंने महिलाओं से कोई समझौता न करने तथा पुरुषों से यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं के लिए आवाज उठाने का अनुरोध किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता ने कहा, 'उन महिलाओं को बधाई जो अपनी बात पर अड़ी रहीं तथा विजयी साबित हुईं। दुर्व्यवहार को रोकने के लिए हेमा समिति की बहुत आवश्यकता थी। लेकिन क्या यह रुकेगा?' वर्ष 2017 में एक अभिनेत्री पर हमले के बाद केरल सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न व शोषण के मामलों का खुलासा किया गया है। इसके बाद कई अभिनेत्रियों ने साथी कलाकारों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
सुंदर ने कहा, 'दुर्व्यवहार, यौन संबंध बनाने के लिए दबाव और महिलाओं से यह अपेक्षा करना कि वे फिल्म उद्योग में अपने पैर जमाने या अपने करियर में तेजी लाने के लिए समझौता करें, यह हर क्षेत्र में मौजूद है। केवल एक महिला से ही इस पीड़ा से गुजरने की अपेक्षा को क्यों की जाती है? हालांकि पुरुष भी इसका सामना करते हैं लेकिन महिलाओं को ही इसका दंश झेलना पड़ता है।'
उन्होंने कहा कि शर्मिंदा होने का डर, पीड़िता को ही कसूरवार ठहराना और 'तुमने यह क्यों किया' या 'यह करने की क्या वजह रही', जैसे सवाल महिला को तोड़ देते हैं। सुंदर ने कहा, 'पीड़िता आपके या मेरे लिए अनजान हो सकती है लेकिन उसे हमारे समर्थन की जरूरत है। जब हम यह पूछते हैं कि वह पहले क्यों नहीं सामने आयी, तो हमें उसकी परिस्थितियों को समझने की जरूरत होती है - हर कोई बोल नहीं पाता।' उन्होंने कहा, 'सभी पुरुषों से, मैं पीड़िता के साथ खड़े होने और अपना अटूट समर्थन व्यक्त करने का अनुरोध करती हूं।'