पहले भी हुए सर्जिकल स्ट्राइक, मगर सियासी मुद्दा बनाने के खिलाफ थे मनमोहन
अदिति टंडन/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 27 दिसंबर
दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अक्सर इस बात के लिए आलोचना की जाती रही कि उन्होंने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तान को सख्त जवाब देने का आदेश नहीं दिया, लेकिन सच्चाई यह है कि उनके मंत्रिमंडल ने सैन्य कार्रवाई के खिलाफ फैसला लेने से पहले इस पर विचार किया था। साल 2019 के लोकसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर ट्रिब्यून को दिए एक विशेष साक्षात्कार में मनमोहन सिंह ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि उनकी सरकार ने 26/11 के हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ बल प्रयोग पर विचार किया था। सिंह ने इस संवाददाता से कहा था, ‘मुंबई में हुआ नृशंस हमला अक्षम्य था। मैं इस आरोप से सहमत नहीं हूं कि हम सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार नहीं थे। हम तैयार थे। हमने बल प्रयोग पर विचार किया था।’ उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि उस समय भू-राजनीतिक स्थिति भारत के पक्ष में थी। भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक और त्वरित प्रतिक्रिया दी थी। रिकॉर्ड बताते हैं कि सैन्य कार्रवाई के आह्वान को तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सबसे जोरदार तरीके से खारिज कर दिया था। मुखर्जी ने खुद अपनी किताब ‘द कोएलिशन एरा’ में स्वीकार किया है, ‘कैबिनेट में गरमागरम बहस के बीच सैन्य हस्तक्षेप की मांग की गई थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया।’
मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि वह 'सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रचार चाहते हैं।' मनमोहन ने ट्रिब्यून से बातचीत में कहा था, 'कांग्रेस-यूपीए सरकार सहित पिछली सरकारों के दौरान कई निर्णायक सैन्य अभियान चलाए गये। लेकिन राजनीतिक हितों के लिए सशस्त्र बलों की सफलताओं का दिखावा करना अस्वीकार्य है।'