मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

आलोचकों पर बरसे सुप्रीम कोर्ट के नामित चीफ जस्टिस गवई

05:00 AM Apr 22, 2025 IST
सुप्रीम कोर्ट।

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (ट्रिन्यू/ एजेंसी)

Advertisement

न्यायपालिका के खिलाफ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की हालिया टिप्पणियों का परोक्ष संदर्भ देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उस पर संसदीय और कार्यपालिका के कार्यों में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हाल में हुई हिंसा की जांच कराए जाने का अनुरोध करने वाली एक नयी याचिका पर जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने यह टिप्पणी की।

विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का अनुरोध करने वाले दो याचिकाकर्ताओं की ओर से 2021 में जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पीठ से नयी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने का आग्रह किया। जैन ने कहा कि 2021 की याचिका कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है और पश्चिम बंगाल में हिंसा की और घटनाओं को सामने लाने वाली नयी याचिका पर भी सुनवाई की जानी चाहिए। कुछ अतिरिक्त तथ्य रिकॉर्ड पर लाने के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति मांगते हुए अधिवक्ता ने कहा कि राज्य में अर्धसैनिक बल की तैनाती और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 355 का हवाला दिया, जो बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्यों की रक्षा करने के संघ के कर्तव्य से संबंधित है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत इस बारे में रिपोर्ट मांग सकती है कि राज्य में क्या हो रहा है। भारत के अगले चीफ जस्टिस बनने जा रहे बीआर गवई ने जैन से कहा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को आदेश दें? हम पर संसदीय और कार्यपालिका के कार्यों का अतिक्रमण करने का आरोप है।’

Advertisement

गौर हो कि राज्यपालों द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गये विधेयकों पर निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समयसीमा तय किये जाने पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने पिछले सप्ताह सवाल उठाया था। उपराष्ट्रपति ने कहा था, ‘हमने कभी ऐसे लोकतंत्र की उम्मीद नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति समयसीमा से बंधे हों... जहां न्यायाधीश कानून बनाते हों, कार्यकारी कार्य करते हों, सुपर संसद की तरह काम करते हों और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होती, क्योंकि कानून उन पर लागू नहीं होता।’ धनखड़ ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘परमाणु मिसाइल’ के रूप में अनुच्छेद 142 नहीं दाग सकता। वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। दुबे ने देश में ‘गृह युद्ध’ के लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को जिम्मेदार ठहराया था।

कुरैशी का दुबे पर पलटवार

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ‘मुस्लिम आयुक्त’ वाले बयान पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने सोमवार को कहा कि वह भारत को लेकर ऐसी अवधारणा में विश्वास करते हैं, जहां व्यक्ति की पहचान उसके योगदान से होती है। उन्होंने दुबे के बयानों पर पलटवार करते हुए यह भी कहा कि कुछ लोगों के लिए, धार्मिक पहचान उनकी नफरत वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य आधार है। कुरैशी ने कहा कि भारत हमेशा संवैधानिक संस्थाओं और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा, खड़ा है और खड़ा रहेगा तथा लड़ता रहेगा। इससे पहले सुबह बिना किसी संदर्भ के कुरैशी ने पोस्ट किया, ‘मैंने बहुत पहले ही सीख लिया था कि सूअर के साथ कभी कुश्ती नहीं लड़नी चाहिए। आप गंदे हो जाते हैं और इसके अलावा, सूअर को यह पसंद है- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ। महान लेखक का एक बहुत ही बुद्धिमानी भरा उद्धरण!’

Advertisement