बाल ‘पोर्नोग्राफी’ मामले पर सुप्रीम फैसला आज
नयी दिल्ली, 22 सितंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को एक याचिका पर फैसला सुनाएगा, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई जिसमें कहा गया है कि केवल बाल ‘पोर्नोग्राफी' को डाउनलोड करना और उसे देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत आने वाला अपराध नहीं है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के फैसला सुनाने की संभावना है। मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री (पोर्नोग्राफी) डाउनलोड करने के आरोप में 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि इन दिनों बच्चे पोर्नोग्राफी देखने के गंभीर मुद्दे से जूझ रहे हैं और उन्हें दंडित करने के बजाय, समाज को उन्हें शिक्षित करने के लिए 'पर्याप्त परिपक्व' होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो याचिकाकर्ता संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का की दलीलों पर ध्यान दिया था कि हाईकोर्ट का फैसला कानूनों के विपरीत था। वरिष्ठ अधिवक्ता फरीदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन ‘जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रेन अलायंस' और नयी दिल्ली स्थित ‘बचपन बचाओ आंदोलन' की ओर से पेश हुए।