हरियाणा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
नयी दिल्ली, 5 फरवरी (एजेंसी)
हरियाणा के स्थानीय निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने को ‘असंवैधानिक’ ठहराने के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने हरियाणा सरकार द्वारा दायर अपील पर केंद्र सरकार और फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को नोटिस जारी किया।
हरियाणा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला तर्कहीन है। राज्य सरकार ने 17 नवंबर, 2023 के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 को भी ‘अधिकार क्षेत्र से परे’ करार दिया था और कहा था कि यह ‘लागू होने की तारीख से अप्रभावी’ माना जाएगा।
हाईकोर्ट ने 83 पृष्ठ के फैसले में कहा था, ‘हमारी सुविचारित राय है कि याचिकाएं अनुमति दिए जाने योग्य हैं और हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 असंवैधानिक तथा भारत के संविधान के भाग-3 का उल्लंघन है। इसलिए इसे अधिकार क्षेत्र से परे मानकर लागू होने की तारीख से अप्रभावी माना जाता है।’
हाईकोर्ट ने 15 जनवरी, 2022 से लागू होने वाले और राज्य के उम्मीदवारों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले अधिनियम के खिलाफ कई याचिकाएं स्वीकार की थीं। इसमें अधिकतम 30,000 रुपये तक के सकल मासिक वेतन या भत्ते वाली नौकरियां शामिल थीं।