सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला
नयी दिल्ली, 7 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन अभ्यर्थियों को अस्थायी रूप से हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी, जिन्हें उचित प्रारूप में प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण रोक दिया गया था। अदालत ने राज्य लोक सेवा आयोग को अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ कुछ उम्मीदवारों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें वंचित करने के आयोग के फैसले को बरकरार रखा गया था।
इस बात का संज्ञान लेते हुए कि यह कोई महत्वपूर्ण उल्लंघन नहीं है, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कुछ अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका पर हिमाचल प्रदेश सरकार और राज्य लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी किये तथा 4 सप्ताह के भीतर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रारंभिक परीक्षा 9 जुलाई से शुरू होनी है, लेकिन याचिकाकर्ताओं को उचित प्रारूप में या पूर्ण विवरण के साथ प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण परीक्षा से वंचित कर दिया गया है। पीठ ने कहा कि हम प्रतिवादियों को यह निर्देश देते हुए अंतरिम राहत देने के इच्छुक हैं कि वे (प्रतिवादी) याचिकाकर्ताओं को परीक्षा के लिए केंद्र निर्दिष्ट करते हुए आवश्यक प्रवेश पत्र जारी करके 9 जुलाई को शुरू होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में अस्थायी रूप से शामिल होने की अनुमति दें।