आत्मनिर्भरता का सूर्योदय
पर्यावरणीय संकट और महंगे होते ऊर्जा संसाधनों के विकल्प के रूप में स्वच्छ ऊर्जा, खासकर सौर ऊर्जा दुनिया में पहली पसंद बनी है। भारत ने भी तेजी से इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इन्हीं रचनात्मक प्रयासों के चलते आज देश में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 73 गीगावॉट तक हो गई है। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर, 2023 तक भारत में रूफटॉप सोलर क्षमता लगभग 11.08 गीगावॉट है। विश्व ऊर्जा की जरूरतों की निगरानी करने वाली संस्थाएं बता रही हैं कि आने वाले तीन दशक में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में ऊर्जा की मांग में सबसे ज्यादा वृद्धि होने वाली है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम इस चुनौती के मुकाबले के लिये ऊर्जा के नये स्रोतों को तलाशें। निस्संदेह, नवीकरणीय ऊर्जा इसका बेहतर विकल्प हो सकता है। देश में थर्मल और जल विद्युत परियोजनाएं के नफे-नुकसान को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा ही कारगर विकल्प बचता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह से लौटने के तुरंत बाद ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ की शुरुआत करने की घोषणा की। जिसका मकसद समाज के कमजोर वर्गों को बिजली के बिल से राहत दिलाने के साथ ही स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना भी है। इस योजना का उद्देश्य देश कोे ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना है। इस योजना के तहत गरीबों व निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों का बिजली का खर्च घटाने के मकसद से देश के एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि सूर्य के ताप से ऊर्जा हासिल करने के लिये लगाए जाने वाले पैनल के उपयोग से बिजली के बिल में कमी आएगी, जिससे लोगों को आर्थिक राहत मिल सकेगी। यूं भी देश में मुफ्त बिजली देना बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है, जिसका नकारात्मक प्रभाव बिजली विभाग की सेहत पर भी पड़ता है।
हालांकि, इस योजना के लाभार्थियों से जुड़ी विस्तृत जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस बाबत जरूरी ब्योरा देने के लिये वेबसाइट शीघ्र जारी होगी। जिसके जरिये इच्छुक भारतीय नागरिक आवेदन कर सकेंगे। इस अभियान के तहत अधिकारियों से राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाने को कहा गया है। जिससे नागरिकों को रूफटॉफ पैनल के उपयोग के लिये प्रेरित किया जा सके। दरअसल, रूफटॉप सोलर पैनल एक फोटोवोल्टिक पैनल होता है, जिसे किसी मकान की छत पर लगाया जाता है। कालांतर सूरज से ऊर्जा पाने वाले इस पैनल को मुख्य बिजली आपूर्ति करने वाली लाइन से जोड़ दिया जाता है। जिससे यह ग्रिड के माध्यम से आने वाली विद्युत के उपयोग को घटा देता है। फलस्वरूप उपयोगकर्ता का बिजली के बिल का खर्च घट जाता है। दरअसल, रूफटॉप सोलर पैनल खासा किफायती है। इसकी लागत केवल पैनल लगाने के वक्त एक बार ही आती है। बाद में इसके संचालन में बेहद कम ही खर्च आता है। दरअसल, इसका मकसद जहां लोगों को आर्थिक राहत देना है, वहीं देश में बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना भी है। वहीं दूसरी ओर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये देश की जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं हैं, उनमें भी यह पहल सहायक बनती है। कहीं न कहीं सरकार का मकसद इस योजना के जरिये राजनेताओं की मुफ्त की रेवड़िया बांटने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाना भी है। पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी गारंटियों में मुफ्त बिजली देने का वायदा भी शामिल किया। इस मुफ्त बिजली की कीमत कालांतर देश की अर्थव्यवस्था को भी चुकानी पड़ती है। सरकार जल्दी ही इस योजना का रोडमैप जारी करने वाली है। कहा जा रहा है कि वे लोग इस योजना के लिये आवेदन कर सकेंगे, जो भारत के स्थायी नागरिक हों, उनकी वार्षिक आय डेढ़ लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवेदक सरकारी कर्मचारी न हो। उसे अपना आधार कार्ड, अधिवास प्रमाणपत्र, बिजली का बिल और आय का प्रमाणपत्र आदि की जानकारियां वेबसाइट पर अपलोड करनी होंगी। उल्लेखनीय है कि सरकार की ओर से ऐसी एक योजना 2014 में लॉन्च की जा चुकी है। विश्वास है, गरीब के घर को रोशन करने वाला यह प्रयास सार्थक साबित होगा।