For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

अंतरिक्ष में फजीता फिर भी डटी सुनीता

08:10 AM Aug 30, 2024 IST
अंतरिक्ष में फजीता फिर भी डटी सुनीता
Advertisement

अरुण नैथानी

दुनिया भर के भारतीय एक बार फिर भारतवंशी बेटी सुनीता विलियम्स के लिये फिक्रमंद हैं। दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में शोध-अनुसंधान के लिये गई सुनीता के लिए अपने एक सहयोगी के साथ निर्धारित समय पर लौट पाना मुश्किल हो रहा है। वे बोइंग के जिस अंतरिक्ष विमान स्टारलाइनर से गए थे, उसमें कई तरह की तकनीकी खामियां आ गई हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों की जान को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहा है। दो बेहद अनुभवी व प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्रियों की बेशकीमती जिंदगियों का प्रश्न तो है ही, लेकिन मिशन की असफलता से सुपरपावर की साख को जो झटका लगेगा, उसकी बड़ी कीमत होगी। वह भी तब जब उसके नंबर वन के ओहदे को चुनौती देने वाला चीन अंतरिक्ष अभियान में नित नई सफलताएं हासिल करता ही जा रहा है। मगर भारतीयों के लिये अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता है। उसके दिल में भारत की एक होनहार बेटी कल्पना चावला को खोने के जख्म अभी तक हरे हैं। हरियाणा की इस लाडली को खोने का गम देश अभी तक नहीं भुला पाया है।
बहरहाल, अब अमेरिका से छनकर आ रही खबरें बताती हैं कि जो सुनीता विलियम्स आठ दिन के लिये अंतरिक्ष मिशन पर गयी थीं, उसे अब आठ महीने अंतरिक्ष में गुजारने होंगे। निस्संदेह, किसी व्यक्ति के अंतरिक्ष में इस तरह की अनिश्चितताओं में फंसना एक बड़ी चिंता का सबब होता है। लेकिन सुनीता बड़ी दिलेर अंतरिक्ष यात्री हैं। एक लड़ाकू हेलीकॉप्टर की चालक रही सुनीता की उपलब्धियों ने ही उसे अंतरिक्ष मिशन तक पहुंचाया है। यह उसका तीसरा अंतरिक्ष मिशन है। पूरी दुनिया ने उस वीडियो क्लिप को देखा था, जिसमें वह स्टारलाइनर अंतरिक्ष विमान से निकलकर बहुत ही गर्मजोशी से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने सहयोगियों से मिली थीं। नये उत्साह व उमंग के साथ। निश्चित रूप से अंतरिक्ष यात्री कड़े प्रशिक्षण व मजबूत मानसिक तैयारी के बाद ही अंतरिक्ष मिशन में जुड़ते हैं। यूं तो जोखिम सड़क पर पैदल चलने वाले व्यक्ति के जीवन में भी कम नहीं होते हैं, लेकिन अंतरिक्ष यात्री के जीवन के जोखिम हर पल नजर आते हैं।
दरअसल, बोइंग का स्टारलाइनर अंतरिक्ष विमान जब अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के करीब पहुंचा तो उसमें बड़ी तकनीकी खामियां आ गई थी। उसके वे पांच थ्रस्टर्श बंद हो गए थे, जो यान की दिशा निर्धारित करते हैं। कालांतर में उसकी हीलियम गैस भी खत्म हो गई। फलत: उसे वैकल्पिक ईंधन पर निर्भर होना पड़ा। नासा ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाली व्यावसायिक उड़ानों के लिये बोइंग व स्पेस एक्स के साथ अरबों डॉलर के करार किये हैं। अब तक नौ मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों को अंजाम देने वाले स्पेस एक्स को सुनीता विलियम्स व बैरी बुच विल्मोर को वापस धरती पर लाने का जिम्मा सौंपा गया है। नासा ने अंतरिक्ष अभियान के तमाम जोखिमों का अध्ययन करने के बाद यह फैसला लिया है।
बहरहाल, नासा ने फैसला किया है कि सुनीता व विल्मोर को फरवरी, 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में ही रहना पड़ेगा। इसके बाद वे स्पेस-एक्स क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से वापस लौट सकेंगे। जिसमें दो अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे और वापसी में सुनीता और विल्मोर उससे लौटेंगे। इन परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए 58 वर्षीय सुनीता के हौसले बुलंद हैं। अगले छह माह तक का उनका कार्यक्रम निर्धारित हो गया है। इस बीच वह स्टेशन पर वैज्ञानिक कार्यों के अलावा यान की मरम्मत तथा स्पेस वॉक भी करेंगी। इस घटनाक्रम से बोइंग के अभियान को लेकर भी सवाल उठे हैं। कहा जा रहा है कि शुरुआती दौर में हीलियम रिसाव के संकेत मिले थे। विगत में भी बोइंग के कई अंतरिक्ष मिशनों का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा है। लेकिन वहीं दूसरी ओर बोइंग की प्रतिद्वंद्वी एलन मस्क की स्पेसएक्स ने पिछले कुछ वर्षों में खासी उपलब्धियां हासिल की हैं। चार साल पहले ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचा चुका है और अंतरिक्ष यात्रियों व सामान को ले जाने व लाने का काम करता रहा है।
सुनीता विलियम्स पिछले दो माह से धरती के ऊपर अंतरिक्ष में तैर रही हैं। एक प्रायोगिक अभियान के तहत वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन गई थीं। लेकिन अब जब उनको अगले छह माह अंतरिक्ष में रहना पड़ेगा, तो कहा जा रहा है कि सुनीता क्रिसमस व नया साल भी अतंरिक्ष में ही मनाएंगी।
उल्लेखनीय है कि सुनीता विलियम्स की अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यह तीसरी यात्रा है। वह एक अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं जो नौसेना हैलीकॉप्टर पायलट की भूमिका निभाने के बाद नासा के अंतरिक्ष अभियानों से जुड़ी हैं। हाल ही में उन्होंने उत्साहपूर्वक कहा था कि वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अपने दायित्वों के निर्वहन में खासी व्यस्त हैं। वे अतंरिक्ष स्टेशन में गुरुत्वाकर्षण मुक्त परिवेश में तैरना अच्छा महसूस करती हैं। इसे वे अपने अंतरिक्ष के घर में वापसी मानती हैं। टीम के साथ शोध-अनुसंधान करने का यह अनुभव सुखद है। निश्चित रूप से हर अंतरिक्ष यात्री अपने मिशन में उत्पन्न होनी वाली चुनौती और विकट स्थितियों के लिये मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार ही होता है। लेकिन भारहीनता की स्थिति, बाधित नींद, आंखों पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव, समाज से कटकर नितांत एकांत व भावनाशून्य स्थितियां संवेदनशील मनुष्य को अखरती तो हैं ही। वहीं मांसपेशियों का वजन कम होने से कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें भी आती हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सुनीता सकुशल घर लौटे।

Advertisement

Advertisement
Advertisement