सुक्खू सरकार को 305 औद्योगिक प्लाटों के लिए नहीं मिल रहे खरीदार
शिमला, 26 फरवरी (हप्र)
हिमाचल प्रदेश में अब सीमेंट प्लांट टुकड़ों में लगेंगे। ऐसा इसलिए होने जा रहा है, क्योंकि राज्य में मौजूद चूना पत्थर के बड़े-बड़े भंडारों के लिए अत्यधिक अपफ्रंट मनी के कारण उद्योगपति सीमेंट प्लांट लगाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार ने चूना पत्थर के इन भंडारों को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित करने का फैसला लिया है, ताकि उद्योगपति अपेक्षित अपफ्रंट मनी देकर प्लांट स्थापित कर सके और बाद में इनका विस्तार भी कर सके। ये बात उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सोमवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कही।
करसोग के विधायक दीप राज के मूल सवाल के उत्तर में उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट उद्योगों की स्थापना में भारी भरकम अपफ्रंट मनी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। इसी के दृष्टिगत सरकार ने अब सीमेंट कारखानों की स्थापना के लिए खनन पट्टों को टुकड़ों में विभाजित करने और उनकी नीलामी करने का निर्णय लिया है ताकि उद्योगपतियों को एक बार में अधिक अपफ्रंट मनी न देनी पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार ने करसोग के अलसिंडी में सीमेंट उद्योग की स्थापना की कोशिश की, लेकिन कोई भी कंपनी आगे नहीं आई, क्योंकि अपफ्रंट मनी बहुत अधिक थी।
विधायक केएल ठाकुर, सतपाल सत्ती और जेआर कटवाल के संयुक्त सवाल के जवाब में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि प्रदेश में कुल 67 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं, जिनमें 3594 प्लाट हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से 495488 वर्ग मीटर क्षेत्र के 305 औद्योगिक प्लाटों को नहीं बेचा जा सका है, क्योंकि ये प्लाट सड़क सुविधा से नहीं जुड़े हैं या फिर भूमि विवाद में फंसे हैं जो उद्योगों के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 15 जनवरी तक किसी भी उद्योग ने हिमाचल से पलायन नहीं किया है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि ऐसे औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं करेगी, जहां औद्योगिक प्लाट बनाने की कीमत बहुत अधिक हो। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग विभाग कुछ औद्योगिक क्षेत्र में खाली पड़े औद्योगिक प्लाटों का सर्वोत्तम उपयोग भी सुनिश्चित करेगा। एक प्रतिपूरक सवाल के जवाब में उद्योग मंत्री ने कहा कि बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 30 कंपनियां केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार सीएसआर के तहत पैसा खर्च कर रही है।
500 युवाओं को मिलेगा ई-टैक्सी परमिट
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार राजीव गांधी ई-टैक्सी योजना के तहत पहले चरण में 500 युवाओं को ई-टैक्सी परमिट देने जा रही है। इसके लिए 1218 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। विधायक डीएस ठाकुर, विपिन परमार, बिक्रम सिंह और चैतन्य शर्मा द्वारा पूछे गए मूल सवाल के जवाब में धर्माणी ने कहा कि इस योजना का लाभ लेने के लिए युवा का हिमाचली होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ई-वाहनों के प्रयोग से बीते एक साल में डीजल और पेट्रोल के रूप में 28 लाख रुपए की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में ई-वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने एसआरटी में 50 फीसदी और टोकन टैक्स में सौ फीसदी छूट देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी विभागों में ई-वाहन खरीदने के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और जो डीजल या पेट्रोल वाहन अभी तक खरीदे गए हैं, उनके आर्डर पहले दिए जा चुके थे। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी के 3200 बसों के बेड़े में से 110 बसें इलेक्ट्रिक हैं।