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सुक्खू सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को नहीं दे पाई वेतन और पेंशन

07:01 AM Sep 03, 2024 IST

शिमला, 2 सितंबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार घोर आर्थिक संकट में फंस गई है। हालत यह है कि सरकार 2 तारीख को भी प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों को उनके वेतन और पेंशन का भुगतान नहीं कर पाई है। ऐसे में अब प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को वेतन का भुगतान केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान की 490 करोड़ की मासिक किश्त मिलने के बाद ही हो पायेगा। सामान्य तौर पर राजस्व घाटा अनुदान की मासिक किश्त पांच-छह तारीख को सरकार के खाते में पहुंचती है। इसके बाद दस तारीख को केंद्रीय करों की 688 करोड़ रुपये पहुंचते हैं और तब जाकर पेंशनर्ज को पेंशन मिलेगी।
इस बीच सोमवार को पूरा दिन सरकारी कर्मचारी मोबाइल पर वेतन आने का मैसेज पढ़ने का इंतजार करते रहे। विधानसभा के मानसून सत्र की दो दिन के अवकाश के बाद बैठक शुरू होने से पहले सचिवालय में वित्त विभाग के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार सहित सात अधिकारियों ने वित्तीय स्थिति को लेकर समीक्षा की। हर महीने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बारह सौ करोड़ और पेंशनर्ज को पेंशन भुगतान करने के लिए 800 करोड़ की आवश्यकता रहती है। भारतीय रिजर्व बैंक के सख्त निर्देशों से बचने के लिए सरकार ने वेतन-पेंशन देने का फार्मूला भी निकाला है। गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे प्रदेश को आर्थिक दिवालियेपन से बचाने के लिए सरकार ने कई कदम भी उठाए हैं। इनके तहत सबसे पहले मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, कैबिनेट दर्जा प्राप्त सलाहकारों व सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों का वेतन व भत्ते अगले दो माह के लिए डैफर करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि सरकार का यह कदम सरकार के रोजमर्रा के कामकाज चलाने के लिए जरूरी पैसे का इंतजाम करने के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान भी नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार को इस स्थिति से बचने के लिए बड़े फैसले लेने होंगे जिनमें फिजूल खर्ची को बंद करना सबसे ऊपर है।

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