अकाल तख्त के समक्ष पेश होंगे सुखबीर बादल
चंडीगढ़/संगरूर, 16 जुलाई (एजेंसी/निस)
अकाल तख्त के जत्थेदार द्वारा सुखबीर सिंह बादल को बागी अकाली नेताओं के आरोपों पर स्पष्टीकरण के लिए तलब किये जाने के एक दिन बाद शिरोमणि अकाली दल प्रमुख ने कहा कि वह एक धर्मनिष्ठ सिख के तौर पर सिखों के सर्वोच्च धार्मिक निकाय के समक्ष पेश होंगे।
बागी शिअद नेता एक जुलाई को अकाल तख्त के जत्थेदार के समक्ष उपस्थित हुए और 2007 से 2017 के बीच राज्य में शिअद सरकार के दौरान की गई ‘गलतियों' के लिए माफी मांगी थी। जत्थेदार ने बादल से 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा था। शिअद अध्यक्ष बादल ने मंगलवार को ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “एक धर्मनिष्ठ सिख होने के नाते मैं श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज और श्री अकाल तख्त साहिब के प्रति समर्पित हूं।” बादल ने कहा कि अकाल तख्त के आदेश के अनुसार, वह पूरी श्रद्धा और विनम्रता के साथ अकाल तख्त के समक्ष उपस्थित होंगे। जत्थेदार ने सोमवार को अमृतसर में पांच सिंह साहिबानों की बैठक के बाद एक बयान जारी किया था। बयान के मुताबिक, “अकाली दल के कुछ वरिष्ठ नेताओं से अकाल तख्त साहिब को मिली शिकायत के अनुसार, शिअद के अध्यक्ष ने पंथ की भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इसलिए शिअद अध्यक्ष को 15 दिनों के भीतर आरोपों पर लिखित स्पष्टीकरण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से अकाल तख्त साहिब के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है।” अकाल तख्त ने बयान में विज्ञापनों पर 90 लाख रुपये खर्च करने के आरोपों के संबंध में एसजीपीसी से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
पार्टी वर्करों से मिले प्रेम सिंह चंदूमाजरा
राजपुरा (निस) : पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा आज राजपुरा टाऊन के गुरूद्वारा श्री सिंह सभा पहुंचे जहां उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के राजपुरा, घनौर व सनोर के कार्यकर्ताओ से मुलाकात की। इस मौके पर प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि आज पंजाब में जमीन के नीचे पानी की कमी होती जा रही है। इस कमी को पूरा करने के लिये वर्षा के पानी को इक्ट्ठा कर उसे इस्तेमाल में लाने की जरूरत है। दूसरी ओर पंजाब में नशा आये दिन बढ़ता जा रहा है, सत्ताधारी पार्टी के एक विधायक ने अपने नेताओं पर इस कार्य में शामिल होने के अारोप लगाये हैं। इन मुश्किलों का मुकाबला करने के लिये शिरोमणि अकाली दल जैसी मजबूत पार्टी की जरूरत है लेकिन बदकिस्मती से अकाली दल संकट में फंसा हुआ है। पंजाब के लोगों ने अकाली दल को नकार दिया लेकिन सुखबीर बादल ने लोगों के फतवे को भी नहीं माना।