किसानों की आय बढ़ाने के दावों के बीच बढ़ीं आत्महत्याएं
करम प्रकाश/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 4 जून
साल 2021 में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक रही। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) की रविवार को जारी ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कृषि आय दोगुनी करने के केंद्र के वादे के बावजूद आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या पांच साल में सबसे अधिक है।’
रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,881 लोगों ने आत्महत्या की। यानी हर दिन लगभग 30 किसान व खेतिहर मजदूरों ने जान दी। साल 2020 और 2021 के बीच नौ राज्यों में किसानों की आत्महत्या में वृद्धि दर्ज की गई। सबसे ज्यादा 13 गुना वृद्धि असम में हुई।
हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो किसान आत्महत्याओं के कारणों पर चुप है, लेकिन 2016-17 में सरकार की एक रिपोर्ट ने तीन कारणों का हवाला दिया था- मानसून की अनिश्चितता के कारण बार-बार फसल बर्बाद होना; सुनिश्चित जल संसाधनों का अभाव; और फसलों पर कीटों के हमले व रोग।
इस साल 23 मार्च को संसद में पेश की गयी एक रिपोर्ट में कृषि पर संसदीय पैनल ने पहले ही खुलासा कर दिया है कि सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के अपने 2022 के लक्ष्य से बहुत दूर है।
साल 2021 के दौरान महाराष्ट्र में सबसे अधिक 4064 किसानों व खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। कर्नाटक (2169) दूसरे, मध्यप्रदेश (671) तीसरे स्थान पर रहा। पंजाब में 270 किसानों व खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की।
किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं के बारे में पूछे जाने पर कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा, ‘किसानों को उनकी उपज से उचित आय नहीं मिल रही है। वे पहले ही कर्ज के दुष्चक्र में फंस चुके हैं। सरकार को किसानों पर बोझ कम करने के लिए प्रत्यक्ष आय समर्थन बढ़ाना चाहिए।’
5 साल में सर्वाधिक
वर्ष सुसाइड
2017 10,655
2018 10,619
2019 10,281
2020 10, 677
2021 10,881