प्रदेश में बढ़ सकते हैं गन्ने के भाव, शुगरफैड की बैठक आज
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 सितंबर
हरियाणा सरकार गन्ने के एमएसपी में बढ़ोतरी कर सकती है। वर्तमान में राज्य के 350 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव तय है। पड़ोसी राज्य पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी करके इसे 360 रुपये किया है। ऐसे में अब हरियाणा सरकार पर भी रेट बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है।
पंजाब द्वारा की गई इस बढ़ोतरी से पहले हरियाणा, देश का अकेला ऐसा राज्य था, जहां गन्ने का भाव सर्वाधिक था। अब पंजाब के किसानों को सबसे अधिक रेट मिल रहे हैं। बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में शुगर फेडरेशन की बैठक होगी। सहकारिता मंत्री डॉ़ बनवारी लाल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में शुगर फेडरेशन के चेयरमैन व शाहबाद से जजपा विधायक रामकरण काला, फेडरेशन के एमडी जितेंद्र कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि यह बैठक मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी ले सकते हैं। अधिकारिक तौर पर इसकी सूचना नहीं है। सूत्रों का कहना है कि पंजाब में गन्ने के रेट बढ़ने के बाद अब राज्य की गठबंधन सरकार भी इस पर मंथन कर रही है। किसानों द्वारा गन्ने के रेट बढ़ाने की मांग की जा रही है। इससे पहले खट्टर सरकार ने पिछले साल गन्ने के भाव में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। माना जा रहा है कि अगर सरकार रेट बढ़ाती है तो इसे पंजाब के बराबर भी कर सकती है और पंजाब से अधिक कर सकती है। दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 9 महीनों से चल रहे किसानों के आंदोलन को देखते हुए भी यह निर्णय हो सकता है।
नवंबर के पहले सप्ताह में होगी खरीद
सहकारिता विभाग द्वारा पिछले साल की तरह इस बार भी नवंबर के पहले सप्ताह में शुगर मिलों में पिराई सीजन शुरू किया जा सकता है। पिछले दिनों विभाग के मंत्री बनवारी लाल ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें शुगर फेडरेशन के अधिकारियों के अलावा सभी शुगर मिल के प्रबंध निदेशक व अन्य अधिकारी मौजूद थे। बैठक में अक्तूबर में गन्ने की खरीद शुरू करने का मुद्दा भी उठा था, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी।
मिलों की क्षमता बढ़ी, बांडिंग नहीं
सरकार चरणबद्ध तरीके से शुगर मिलों की क्षमता बढ़ा रही है। करनाल और पानीपत शुगर मिल की क्षमता बढ़ाई जा चुकी है। बाकी पर काम चल रहा है। पिराई क्षमता बढ़ने के बाद भी सरकार बांडिंग की लिमिट नहीं बढ़ाएगी। सरकार प्रति एकड़ गन्ना की खरीद की लिमिट (बांडिंग) तय करती है। इसके लिए मुद्दा उठ चुका है, लेकिन शुगर फेडरेशन ने तकनीकी अड़चन का हवाला देते हुए इससे साफ इकार कर दिया।