संस्कारहीनता का त्रास
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
आज इंटरनेट ने घर-घर पर कब्ज़ा करने के साथ-साथ लगभग प्रत्येक व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर कब्ज़ा कर लिया है। शिक्षा हो या फिर व्यापार, घर की खरीदारी हो या फिर कार्यालय का कोई काम, सभी में अब इंटरनेट की भूमिका प्रमुख हो गई है। मनोरंजन के नाम पर बीते कुछ वर्षों में जिस तरह से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ने अपना अशालीन रंग दिखलाया है उसका सर्वाधिक नकारात्मक असर बच्चों पर, किशोरों पर देखने को मिल रहा है। तकनीकी भरे दौर में हर हाथ में स्मार्ट फोन और इंटरनेट के होने के कारण समूचा विश्व सबकी मुट्ठी में समाहित है। मुट्ठी में समाये इस विश्व में अब कुछ भी गोपन नहीं रह गया है।
इसी अगोपन ने ओटीटी के बहुसंख्यक कार्यक्रमों, वेबसीरीज की अश्लीलता को भी सार्वजनिक कर दिया है। बच्चों में, किशोरों में अपने हमउम्र दोस्तों के साथ बातचीत में गालियों का प्रयोग करने के पीछे मानसिकता उनके साथ वैमनस्यता करने जैसी नहीं होती है।
समाज में एक सामान्य-सी धारणा बनी हुई है कि एक बच्चा आज्ञाकारी होगा। वह बड़ों का आदर-सम्मान करने वाला होगा। युवावस्था आने तक वह अपने भीतर ऐसे गुणों को धारण कर चुका होगा जो समाज, परिवार के हित में होंगे। बहुतायत में ऐसा करने वाले बच्चे मिलते भी हैं। किशोरावस्था का दौर अत्यंत ही संवेदित और बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दौर में बच्चों का गालियों की दिशा में जाना चिंताजनक है।
ऐसे में सवाल यही उठता है कि बच्चों में, किशोरों में इस तरह के अशालीन व्यवहार को करने के पीछे उत्प्रेरक बने इन कार्यक्रमों से बचने का क्या रास्ता है? तकनीक के बहाव भरे इस दौर में इन बच्चों की ऊर्जा को, उनके आकर्षण को उचित दिशा में मोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए।
समयाभाव में वैयक्तिक स्वंतत्रता के नाम पर बच्चों को, किशोरों को समय से पूर्व बड़ा हो जाने दिया है। इसने बच्चों में नैतिक मूल्यों का क्षरण किया है। इस बात को परिवारों को, अभिभावकों को समझना होगा कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उनका संस्कारवान होना, शालीन होना, सभ्य होना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि वे इस समाज की, इस देश की धरोहर हैं। किसी भी समाज और देश का भविष्य इन्हीं के कंधों पर अपनी विकासयात्रा को पूरा करता है। अभिभावकों का दायित्व है कि युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिये एक स्वस्थ सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण प्रदान करें।
साभार : कुमारेंद्र डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम