अनुसूचित जातियों का उप वर्गीकरण, समीक्षा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से खारिज
नयी दिल्ली, 4 अक्तूबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि आरक्षण देने के लिए राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है। शीर्ष अदालत ने पुनर्विचार याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने के आवेदन भी खारिज कर दिये। मामले में एक अलग असहमति वाला फैसला लिखने वाली जस्टिस त्रिवेदी भी बहुमत से सुनाए गए निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज करने वाली सात न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थीं। आदेश 24 सितंबर का है जो शुक्रवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को बहुमत से दिए एक फैसले में कहा था कि राज्यों के पास अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्धारित आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है।