नयी शिक्षा नीति व फीस वृद्धि के विरोध में मदवि में छात्रों का प्रदर्शन
रोहतक, 3 जून (हप्र)
शहीद भगत सिंह छात्र संगठन ने सोमवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन कर नई शिक्षा नीति व फीस वृद्धि पर विरोध जताया। इस दौरान कुलपति कार्यालय में नहीं थे। बाद में मौके पर पहुंचे कुलपति द्वारा उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया तो छात्र शांत हुए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो वह बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
भगत सिंह संगठन ने अध्यक्ष प्रदीप ( मोटा ) के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि तथा नई शिक्षा नीति लागू करने के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। छात्र काफी समय तक कुलपति कार्यालय के बाहर नारेबाजी करते रहे। छात्र कुलपति व रजिस्ट्रार को बाहर बुलाने की मांग पर अड़े रहे। कुछ समय बाद कुलपति मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों की बात को सुना।
छात्रों का कहना था कि इस नई नीति से अनेक विद्यार्थी शिक्षा से वंचित हो सकते हैं। जो पुरानी फीस नीति थी उसमे बदलाव करके फीस को तीन गुना किया जा रहा है जिससे सीधा प्रभाव उन पर पड़ेगा जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विश्वविद्यालय इस नीति के लिए कोई भी इसी मीटिंग में कोई निर्णय ले रही है तो उस मीटिंग में किसी एक छात्र को साथ बुलाकर सोचकर ही निर्णय लिया जाए। इस मौके पर जिला प्रधान हिमांशु देसवाल, एमडीयू प्रधान लव मलिक, हिमांशु बाबा, लक्ष्य सिवाच, साहिल लॉ, निश्चल नरवाल, सौरभ ढुल आदि मौजूद रहे।
विवि के बाहर पकौड़े तलकर जताया रोष
आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के गेट नंबर एक पर पकौड़े तलकर फीस वृद्धि व नई शिक्षा नीति का विरोध जताया। सोमवार सुबह विद्यार्थी समिति के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक धनखड़ के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के गेट नंबर 1 के बाहर इकट्ठे हुए और विरोध जताया। छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत ही इस निर्णय को वापस नहीं लिया तो राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा व धरना प्रदर्शन किया जाएगा। दीपक धनखड़ ने आरोप लगाया कि सरकारी संस्थानों में खुलेआम हो रही ‘फीस की लूट’ ने गरीब व मध्यम वर्ग के बेटे-बेटियों के लिए पढ़ाई मुश्किल नहीं, असंभव बना दी है। एमडीयू में अब पढ़ाई केवल अमीरों और धनाढ्य लोगों के बच्चों की रह गई है। दीपक ने कहा कि फीस बढ़ाकर सीधा-सीधा निजी शिक्षण संस्थाओं को फायदा पहुंचाया जा रहा है, और शिक्षा को गरीब के बेटा-बेटी की पहुंच से बाहर किया जा रहा है। जिस तरह से फीस बढ़ाई गई है उससे लगता है कि सरकार यूनिवर्सिटी को बजट न देकर विद्यार्थियों की फीस बढ़ाकर यहां से राजस्व इकट्ठा करने की तैयारी में है।