Stubble Burning: पंजाब, हरियाणा के किसानों से पराली जलाने के लिए 1.47 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया : केंद्र
नई दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा)
Stubble Burning: सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि 30 नवंबर तक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के लिए किसानों से 1.47 करोड़ रुपये से अधिक का पर्यावरण मुआवजा वसूला गया है।
पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा को एक सवाल के जवाब में बताया कि धान के अवशेष जलाने पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों ने पंजाब में 10,791 और हरियाणा में 1,406 कृषि भूमि का निरीक्षण किया और क्रमशः 5,525 तथा 638 मामलों में जुर्माना लगाया।
पंजाब में लगाए गए पर्यावरण मुआवजे की कुल राशि 2,16,97,500 रुपये और हरियाणा में 21,12,500 रुपये है। पंजाब से 1,27,17,500 रुपये व हरियाणा से 16,27,500 रुपये बतौर पर्यावरण मुआवजा वसूल किए गए। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता खराब होने के कारण इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए, केंद्र सरकार ने पिछले महीने पराली जलाने वाले जुर्माना दोगुना कर दिया था।
संसद में बृहस्पतिवार को प्रस्तुत आंकड़ों से यह भी जानकारी मिली कि बिहार के बेगूसराय और राजस्थान के हनुमानगढ़ में पिछले वर्ष राष्ट्रीय राजधानी से भी ज्यादा 400 एक्यूआई वाले अधिक दिन दर्ज किये गए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, 400 से ऊपर का वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर रूप से प्रदूषित वायु को दर्शाता है, जो मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
कीर्ति वर्धन सिंह ने बृहस्पतिवार को उच्च सदन को बताया कि सीपीसीबी ने 2023 में 280 शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जिनमें से 46 में कुछ दिन ऐसे रहे जब एक्यूआई 400 से अधिक रहा। उन्होंने यह भी कहा कि मौतों और वायु प्रदूषण के बीच सीधा संबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक डेटा उपलब्ध नहीं है।
मंत्री ने बताया कि बिहार के बेगूसराय में 2023 में 30 दिन तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जबकि राजस्थान के हनुमानगढ़ में ऐसे 16 दिन दर्ज किए गए, जबकि दिल्ली में यह आंकड़ा 15 दिन रहा। दस दिनों से अधिक समय तक एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज करने वाले अन्य शहरों में ग्रेटर नोएडा (13), बिहार का पूर्णिया (13) और कटिहार (11), हरियाणा का फरीदाबाद (11), और असम का बिरनीहाट (10) शामिल हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पिछले पांच साल में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भारी वर्षा, कोहरा, गर्मी, ठंड, आंधी जैसी सभी प्रतिकूल मौसम के पूर्वानुमान की सटीकता में 40 से 50 प्रतिशत सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने मौसम संबंधी अवलोकन, संचार, पूर्वानुमान प्रणालियों को उन्नत किया है।
इस बीच देश में वायु प्रदूषण के बढ़ते संकट को उजागर करने वाला एक आवेदन संसद को सौंपा गया जिसमें नागरिक संगठनों के सदस्यों ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक संयुक्त सत्र बुलाने का आह्वान किया। सभी संसद सदस्यों को संबोधित आवेदन में दावा किया गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक सितंबर 2023 से "खराब" या "बहुत खराब" श्रेणी में बना हुआ है और सर्दियों के महीनों में यह "खतरनाक" स्तर पर पहुंच जाता है।