शिक्षा से संबल
एक प्लांटेशन मालिक ने छोटे से बच्चे को दास के रूप में खरीदा और उसे अपने घर ले आया। मालिक की पत्नी ने बालक को प्रारंभ में सारे काम समझाए और फिर वह बालक पूरे घर को संभालने लगा। मालिक की पत्नी की एक बेटी थी। महिला अपनी बेटी को अक्सर कहानियां सुनाया करती थी। वह छिपकर कहानी सुनने लगा। वह कहानी एक महापुरुष पर थी जिसमंे महिला ने अपनी बेटी को यह बताया कि इस दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं होता। यदि व्यक्ति शिक्षित है तो वह अकेला ही गलत के खिलाफ खड़ा होकर उसे सही करने की ताकत रखता है। बालक के मन में घर कर गई। अब वह छिप कर पुस्तकों को देखने और पढ़ने लगा। उन दिनों दासों के पढ़ने पर सजा का प्रावधान था। इसलिए वह छिप-छिप कर दीवारों पर चॉक से वर्णमाला का अभ्यास करने लगा। सत्रह साल की आयु में उसे ‘द कोलंबियन ओरेटर’ की एक प्रति मिली, जिसमें प्रसिद्ध वक्ताओं के स्वतंत्रता संबंधी भाषण थे। इन भाषणों को पढ़कर किशोर ने लिखने का अभ्यास किया। यह बालक ही फ्रेडरिक डगलस थे। फ्रेडरिक डगलस पढ़ाई के कारण ही जागरूक हो पाए और उन्होंने हर व्यक्ति को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दास जीवन की पीड़ा समेत अनेक पुस्तकें लिखीं।
प्रस्तुति : रेनू सैनी