उन्नत युद्धपोतों से बढ़ेगी सामरिक क्षमता
डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव
पाकिस्तान और चीन की रक्षा तैयारियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को आक्रामक बनाया जा रहा है, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए। भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि भविष्य में वह और अधिक सक्षम और शक्तिशाली हो सके।
समंदर में भारत की ताकत बढ़ाने के लिए नौसेना को इस माह के अंत तक एक नया गाइडेड मिसाइल युद्धपोत प्राप्त हो जाएगा। रूस द्वारा तैयार किए गए दो युद्धपोतों में से आईएनएस तुशील पहला है। रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबे खिंचने के कारण इसकी प्राप्ति में विलंब हो गया। इसी युद्ध के कारण एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और परमाणु पनडुब्बी की प्राप्ति में भी देरी होने की संभावना है। आईएनएस तुशील युद्धपोत ब्रह्मोस मिसाइलों सहित अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा। तुशील के मिलने के बाद अगले वर्ष आईएनएस तमल गाइडेड मिसाइल युद्धपोत भी मिल जाएगा। इन दोनों पोतों के नौसेना में शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।
इन गाइडेड मिसाइल युद्धपोतों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित अत्याधुनिक घातक हथियार तथा सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सेंसर लगाए गए हैं। तुशील गाइडेड मिसाइल युद्धपोत इलेक्ट्रॉनिक युद्धकला से लैस है। इसमें एंटी सबमरीन रॉकेट और तारपीडो लगाए गए हैं। इसकी लंबाई लगभग 129 मीटर है। इसकी स्पीड 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा है। तुशील का वजन 3600 टन से ज्यादा है। इसमें 180 नौसैनिक यात्रा कर सकते हैं।
भारत और रूस के बीच 2016 में चार तलवार क्लास के स्टील्थ फ्रिगेट बनाने का समझौता हुआ था, जिनमें से दो रूस और दो भारत में बन रहे हैं। भारत में विशाखापट्टनम क्लास का चौथा गाइडेड मिसाइल युद्धपोत और नीलगिरि फ्रिगेट जल्द ही नौसेना में शामिल होंगे। इन युद्धपोतों में ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात हैं, जो लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं। वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास छह तलवार क्लास स्टील्थ फ्रिगेट्स हैं, जिनमें से चार ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं। इन युद्धपोतों के शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत में काफी वृद्धि होगी।
हाल ही में, भारतीय नौसेना ने 27 नवम्बर को के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। नौसेना ने यह परीक्षण परमाणु पनडुब्बी अरिघात से किया। अब इसका अपग्रेड वर्जन शीघ्र ही कमीशन किया जाना है। परमाणु पनडुब्बी अरिघात आईएनएस अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है। इस पनडुब्बी को विशाखापट्टनम में नौसेना के शिपबिल्डिंग सेंटर में निर्मित किया गया था। अब अरिहंत की तुलना में 6000 टन वजन वाली अरिघात के नए वर्जन को के-4 मिसाइलों से लैस किया जाएगा। इस परीक्षण में के-4 मिसाइल अपने सभी तय मानकों पर खरी उतरी। पनडुब्बी से इस मिसाइल का यह पहला परीक्षण था। वर्ष 2010 से अब तक इसके कई परीक्षण किए जा चुके हैं। यह मिसाइल 10 मीटर लंबी और 20 टन वजन वाली है। यह एक टन वजन का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
के-4 मिसाइलों की मारक दूरी 3500 किलोमीटर तक है। बंगाल की खाड़ी में इन मिसाइलों को तैनात करने से चीन के मेनलैंड और उसके दक्षिण व पश्चिमी इलाकों तक के क्षेत्र को निशाना बनाया जा सकेगा। यह अपनी मारक क्षमता के तहत चीन की राजधानी बीजिंग को भी निशाने पर ले सकती हैं। अरिघात 50 दिन से ज्यादा पानी के अंदर रह सकती है। इसलिए यह चीन के जासूसी जहाजों की नजरों से बचकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकती है। अगर पाकिस्तान से मुकाबले की बात आती है तो अरिघात में तैनात होने पर ये इस्लामाबाद को भी नेस्तनाबूद कर सकती है।
गौरतलब है कि भारत के पास पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलों में कम दूरी की मारक क्षमता वाली के-15 मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें 750 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम हैं। पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत में ये मिसाइलें तैनात हैं। इसके अलावा भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के-5 पर काम कर रहा है। इसकी मारक दूरी 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा होगी। इन सभी की तुलना में के-4 मिसाइलें ज्यादा सटीक, बेहतर एवं आसानी से ऑपरेट होती हैं।
नवम्बर, 2024 में ही गोला बारूद नौका एलएसएएम-12 यार्ड 80 नौसेना को प्राप्त हुई है। उल्लेखनीय है कि ऐसी कुल आठ नौकाओं के निर्माण के लिए विशाखापट्टनम की मैसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ किया गया समझौता इस साल फरवरी में पूरा हो गया था। इन नौकाओं के नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने से उसकी परिचालन क्षमता में काफी वृद्धि हो जाएगी। इन नौकाओं को स्वदेशी रूप से डिजाइन करने के लिए भारतीय जहाज इंजीनियरिंग फर्म से सहयोग लिया गया। इसके अलावा नौसेना की विशाखापट्टनम की विज्ञान एवं तकनीकी प्रयोगशाला में इनका मॉडल तैयार किया गया जिससे इसकी समुद्री योग्यता का आकलन किया जा सके।
नौसेना के लिए निर्मित किया गया पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत अपनी पूर्ण परिचालन क्षमता को हासिल कर चुका है। अब यह युद्ध मोड में तैनात होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस पोत पर तैनात होने वाले 30 विमान बेड़े में 18 मिग-29 तथा 12 कामोव हेलीकॉप्टर होंगे। अमेरिका से खरीदे गए एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर शक्तिशाली पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं के साथ इस पोत पर तैनात रहेंगे। इन सभी के मिलने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।Advertisement