PGI वीरांगनाओं की कहानी: स्तन कैंसर से जंग जीतने वाली महिलाओं ने दी उम्मीद की नई रोशनी
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़ , 19 अक्टूबर
आज पीजीआईएमईआर के स्तन कैंसर जागरूकता दिवस पर मंच पर एक अलग ही ऊर्जा थी, जब स्तन कैंसर से जंग जीतने वाली बहादुर महिलाओं ने अपने संघर्ष और विजय की कहानियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि कैसे सही समय पर पहचान और इलाज से उनकी ज़िंदगी में नया सवेरा आया। इन कहानियों ने न केवल वहां मौजूद हर महिला को प्रेरित किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में हिम्मत और जागरूकता सबसे बड़े हथियार हैं।
चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर के जनरल सर्जरी विभाग (एंडोक्राइन और स्तन सर्जरी इकाई) ने आज स्तन कैंसर जागरूकता माह के तहत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस जन जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को स्तन कैंसर की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और समय पर उपचार के लिए प्रेरित करना था। सर्जरी ओपीडी में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और जागरूकता गतिविधियों में भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. सुष्मिता घोषाल (प्रमुख, रेडियोथेरेपी विभाग, पीजीआईएमईआर) ने कहा, "स्तन कैंसर का उपचार संभव है, बशर्ते इसे समय पर पहचान लिया जाए। हमें महिलाओं को इस दिशा में जागरूक और सशक्त करना होगा ताकि वे समय पर संकेतों को पहचान सकें। यह कार्यक्रम एक जागरूक और सक्रिय समाज की दिशा में एक अहम कदम है।"
जागरूकता से होगी जीवन की रक्षा
विशिष्ट अतिथि डॉ. पंकज अरोड़ा (अतिरिक्त प्रोफेसर, अस्पताल प्रशासन विभाग, पीजीआईएमईआर) ने अपने संबोधन में कहा, "स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। प्रारंभिक पहचान से जीवन बचाए जा सकते हैं, और जागरूकता व स्क्रीनिंग के माध्यम से हम इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या को कम कर सकते हैं। आज का कार्यक्रम इस दिशा में एक जागरूकता से ही संभव है प
शिक्षा और जागरूकता से ही होगा परिवर्तन
कार्यक्रम की एक प्रमुख वक्ता, प्रो. दिव्या दहिया (सर्जरी विभाग, पीजीआईएमईआर) ने स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे सामान्य कैंसरों में से एक है, और भारत में यह महिलाओं में सबसे सामान्य कैंसर है। हर 13 मिनट में भारत में एक महिला स्तन कैंसर से दम तोड़ देती है, जिसका मुख्य कारण देर से पहचान है। प्रारंभिक पहचान से जीवित रहने की संभावना काफी बढ़ जाती है, और इसके लिए शिक्षा और जागरूकता जरूरी है।"
वीरांगनाओं की कहानी
कार्यक्रम का सबसे प्रेरणादायक क्षण तब आया जब स्तन कैंसर से उबरी महिलाओं ने अपने अनुभवों को साझा किया। इन बहादुर महिलाओं ने अपने निदान, उपचार और ठीक होने की कठिन यात्रा को साहसपूर्वक सुनाया, जिससे अन्य महिलाओं को हिम्मत और आशा मिली। उनकी कहानियों ने यह साबित किया कि सही समय पर पहचान और इलाज से इस बीमारी को हराया जा सकता है।
PGI विशेषज्ञों के साथ संवाद और जागरूकता
डॉ. सिद्धांत खरे, डॉ. इशिता लारोइया, डॉ. बुधी यादव, डॉ. गौरव प्रकाश, और डॉ. सुखपाल कौर जैसे विशेषज्ञों ने पैनल चर्चा में भाग लिया। इस दौरान उपस्थित लोगों ने सीधे विशेषज्ञों से अपने सवाल पूछे और स्तन कैंसर से जुड़े अपने संदेह और चिंताओं का समाधान प्राप्त किया।
नाटिका और जानकारी पुस्तिकाएं: जागरूकता के नए तरीके
कार्यक्रम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एजुकेशन (एनआईएनई) के छात्रों द्वारा एक नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें स्तन कैंसर की रोकथाम और समय पर उपचार के महत्व को दर्शाया गया। साथ ही, प्रतिभागियों को हिंदी में सरल जानकारी वाली पुस्तिकाएं भी वितरित की गईं, जिनमें स्तन स्व-परीक्षण, जोखिम कारक, और नियमित जांच की जरूरत पर जानकारी दी गई थी।
इस जागरूकता दिवस ने पीजीआईएमईआर की स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समय पर स्वास्थ्य प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि मिलकर हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं और जीवन बचा सकते हैं।