संवेदनशील दृष्टि से रची कहानियां
केवल तिवारी
खबरें लिखने, पढ़ने और संपादित करने, यानी खबरों के बीच ही रहने वाला व्यक्ति यदि संवेदनशील भी बहुत हो तो वह रचनाशील तो होगा ही। ऐसे ही रचनाधर्मी हैं पंजाबी भाषा के लेखक कमलजीत सिंह बनवैत। उनकी हिंदी भाषा में हालिया प्रकाशित पुस्तक ‘कमलजीत सिंह बनवैत’ की चुनिंदा रचनाएं व्यक्ति, परिवार और समाज केंद्रित हैं। चूंकि बनवैत पत्रकार हैं तो उनकी कहानियों में भी रिपोर्ताज शैली झलकती है, जैसा की किताब की सारगर्भित भूमिका में ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के संपादक नरेश कौशल ने लिखा है, ‘उनके पास बातों को सूक्ष्म रूप में रखने की कला है। इन छोटी कहानियों के निहितार्थ गहरे हैं।’
बनवैत की रचनाओं की पृष्ठभूमि पंजाब है। पंजाबी शब्दों, शैली और पंजाबियत के साथ ही रचनाओं की आत्मा को अनुवादक जतिंदर ने बरकरार रखा है। कई जगह कुछ ठेठ पंजाबी शब्दों को लिखकर साथ ही उसका अर्थ स्पष्ट करने का अंदाज बेहतरीन है। कहानी ‘बेबे, तुम भूलती नहीं’ में पीढ़ियों के अंतर और खुद में सिमटी जिंदगी का भावुक चित्रण है। कहानी ‘रब का बंदा’ में धर्म, जाति से इतर ‘हम सब एक हैं’ का बेहतरीन संदेश है। रचना ‘एमएलए नहीं डाकिया’ रिपोर्टिंग शैली में लिखा संस्मरण लगता है। ‘कांगड़ी’ में रिश्तों की गर्माहट के साथ ही कहानीनुमा यात्रा वृत्तांत नयी ताजगी देता है। ‘हर हाथ कलम’ में किसान आंदोलन के जिक्र के साथ ‘फेस वैल्यू’ और ‘रियल वैल्यू’ की शानदार व्याख्या है। इसी तरह किसान आंदोलन के ही एक और मसले पर ‘जय जवान जय किसान’ में एक साथ दो शहादत पर महिला का हौसला रोंगटे खड़े करने वाला है।
‘डेरा संत बाबा रण सिंह’ में सरकार, अफसर और डेरों के गठजोड़ पर करारी चोट है। कहानी ‘टेरालीन की शर्ट’ में गुरबत की जिंदगी के बावजूद वास्तविक खुशी और जीवन में कुछ बदले मंजर का बेहतरीन चित्रण है। बनवैत की हर रचना में एक संदेश है। कमलजीत सिंह बनवैत की इस किताब में 28 रचनाएं हैं जो पाठकों को रोके रखने में सक्षम प्रतीत होती हैं।
पुस्तक : कमलजीत सिंह बनवैत की चुनिंदा रचनाएं लेखक : कमलजीत सिंह बनवैत प्रकाशक : सप्तॠषि पब्लिकेशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 200.