खामोशी से रुलाने-हंसाने वाली कहानियां
सरस्वती रमेश
गुजरे वक्त का सम्मोहन किसी के लिए सुनहरी यादों में खोने तो किसी के लिए उसे शब्दों में पिरोने का मौका होता है। पुराने वक्त की बातें, व्यवहार, साजो-सामान नए वक्त के लोग किस्से कहानियों की तरह सुनते हैं। ऐसे ही कुछ नए-पुराने के संयोजन से बुनी विमल कालिया ‘विमल’ की किताब ‘अर्धनारीश्वर : खामोशी का संवाद’ की कहानियां लंबे समय तक याद रखी जाएंगी।
लेखक के पास कल्पनाओं का बृहद संसार है। उन्होंने समय के कूप में उतरकर कहानियों के विषय तलाशे हैं और अपनी कल्पनाओं से उन्हें कहानियों का रूप दिया है। कहानियों को बेहद रोचक और जीवंत तरीके से लिखा गया है। कहानी पढ़ने वाले को गुदगुदाती हैं और सुनने वालों को कुछ बताती चलती हैं। ‘कारण बताओं नोटिस’ ‘गप्पों की बातें’ और ‘तिलचट्टे की मौत’ दिलचस्प व हंसी से परिपूर्ण कहानियां हैं। मानवीय व्यवहार की सूक्ष्म पड़ताल कर लिखी गई इन कहानियों में भोला भाला मानुष भी है और शातिर दिमाग भी। इनको पढ़ते हुए पाठक का बिल्कुल फिल्मों की तरह मनोरंजन होता है।
‘गप्पों की बातें’ में एक देहाती आदमी का पहली बार गोलगप्पे से परिचय होता है। इस परिचय के बहाने पाठकों को गांव और उसकी भोली सोच के बारे में भी पता चलता है। लेखक ने पूरी तन्मयता से कहानी के पात्रों के बीच बातचीत और गांव से शहर तक की यात्रा को दर्शाया है।
जबकि ‘तिलचट्टे की मौत’ में एक कॉकरोच की मौत पर अदालत में जिरह हो रही है। तिलचट्टे को धरती का सबसे निरीह प्राणी साबित करने के लिए वकील साहब ने पूरा जोर लगा दिया और उसकी हत्या के आरोपी को सजा दिलाने के लिए कोई कसर न छोड़ी।
‘जल्दसिरे’ एक अलग दुनिया की कहानी है, मगर इसी दुनिया से जुड़ी हुई। जबकि ‘साक्षात्कार’ में संगीत की बारीकियों को समझाया गया है। ‘आत्माराम’ कहानी में एक स्त्री के सती होने का मार्मिक चित्रण है। शीर्षक कहानी एक स्त्री के भीतर चल रहे द्वंद्व की कहानी है।
छोटे-छोटे वाक्यों में लिखी गई इन कहानियों का प्रभाव बड़ा है। कहानियों की बुनावट में इत्मीनान के रेशे हैं। तभी हर कहानी प्रभावी बन पड़ी है। कुल मिलाकर कहानियों का विषय विविधताओं से परिपूर्ण है।
पुस्तक : अर्धनारीश्वर - खामोशी का संवाद लेखक : विमल कालिया ‘विमल’ प्रकाशक : सृष्टि प्रकाशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 148 मूल्य : रु. 225 .