लघुकथा रचना के सोपान
रश्मि खरबंदा
लघुकथा हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है जिसमें नए-नए लेखकों की रचनाओं से बहुत समृद्धि हुई है। भारत में प्राचीन काल से ही लोककथाओं, किंवदंतियों, परी कथाओं, दंतकथाओं जैसे कि पंचतंत्र, हितोपदेश, जातक कथाओं की एक समृद्ध विरासत रही है।
प्रो. रूप देवगुण ने अपनी किताब में लघुकथा का तार्किक विश्लेषण किया है। उन्होंने कहानी के छह तत्वों के अलावा कई ऐसे तत्वों को पहचाना है जो लघुकथा-विशेष हैं। उनके अनुसार लघुकथा के 13 आवश्यक तत्व हैं और इनके अलावा 4 अपेक्षित तत्व हैं। इनकी व्याख्या गहराई से किताब के मुख्य भाग में की गई है। इसी के साथ लघुकथा के शीर्षक पर भी चर्चा की गई है।
इन सिद्धांतों के अलावा किताब के दूसरे खंड में 15 अध्याय लघुकथा से जुड़े कुछ प्रश्नों पर केंद्रित हैं। इसमें इस शैली के इतिहास, वर्तमान और कल का आंकलन है। लघुकथा की विशेषताओं के साथ इसकी कमियों के बारे में भी बताया गया है। यह प्रक्रिया उस आग की तरह है जिसमें जल के ही सोना-रूपी लेखक कुंदन बनता है। अंत में दी गई 14 बिंदुओं की सूची लघुकथा के सृजन का यर्थाथ है। अंत में लेखक ने ऐसे साधनों के बारे में बात की है जो इस विधा को आगे बढ़ाने का कारक बनेंगे। इनमें शोधकर्ता, लघुकथाकार, पत्र-पत्रिकाएं और गोष्ठियों-सम्मेलनों का उल्लेख है।
लेखक के व्यापक अनुभव उन्हें ऐसी विवरणात्मक किताब लिखने काे प्रेरित कर देते हैं। हर लघुकथाकार के लिए यह किताब मार्गदर्शक साबित होगी।
पुस्तक : लघुकथा के तत्त्व तथा अन्य प्रश्न लेखक : प्रो. रूप देवगुण प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 225.