For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

ज़हरीले कारोबार के खात्मे को राज्य आगे आएं

07:59 AM Jul 19, 2024 IST
ज़हरीले कारोबार के खात्मे को राज्य आगे आएं
Advertisement

मधुरेन्द्र सिन्हा

Advertisement

पिछले कई वर्षों से नशे के कारोबार के खात्मे के लिये तमाम तरह के प्रयास हो रहे हैं। लेकिन अब इसमें तेजी लाकर सरकार कई नए कदम भी उठा रही है। रणनीतिकारों की चिंता है कि कहीं भारत भी दक्षिणी अमेरिका के देशों की तरह नशे के कारोबार में न फंस जाये। उन देशों में युवा वर्ग इस खतरनाक कारोबार में बड़े पैमाने पर फंस गया है और अपने जीवन का नाश कर रहा है। ड्रग्स के धंधे पर कब्जा करने के लिए उन देशों में बड़ी हिंसा हो रही है और निर्दोष लोगों की जानें जा रही हैं। उनकी अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो गई हैं और भविष्य अंधकारमय है।
इन्ही चिंताओं के बीच इस कारोबार के खात्मे के लिए लक्ष्य भी रखा है कि 2047 तक देश में नशे के कारोबार को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाये ताकि देश नशे के कुचक्र से मुक्त हो जाये। गृह मंत्रालय की एंटी नॉरकोटिक्स टास्क फोर्स द्वारा लगातार ड्रग्स को जब्त कर उसे नष्ट किया जा रहा है। इसकी सफलता का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि 2014 से 2023 तक 12,000 करोड़ रुपये के बराबर 10 लाख 18 हजार किलोग्राम से भी ज्यादा ड्रग जब्त कर नष्ट कर दिए गये। इसके विपरीत 2006 से 2013 में कुल जब्ती डेढ़ लाख किलो की हुई थी जिसकी कुल कीमत 768 करोड़ रुपये थी।
दरअसल, इसके लिए उन देशों का अध्ययन किया गया जहां नशे के कारोबार ने न केवल जीवन को त्रासद बना दिया बल्कि अर्थव्यवस्थाओं को पैरालाइज कर दिया। ये देश गरीबी के गर्त में जा रहे हैं। इनसे सीख लेकर ही भारत में नशे के कारोबार के खात्मे के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे हैं। इसके लिए इसकी तस्करी पर रोक लगाई जा रही है। जिन देशों से ड्रग की स्मगलिंग भारत में होती है, उन पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इनमें गोल्डन ट्रिएंगल और गोल्डन क्रीसेंट के देश मसलन उत्तर में अफगानिस्तान, पूर्व में म्यांमार हैं। गृहमंत्रालय का मानना है कि भले ही दुनिया के लिए ये गोल्डन क्रीसेंट और गोल्डन ट्रिएंगल हैं लेकिन हमारे लिए और युवाओं के लिए ये डेथ ट्रिएंगल और डेश क्रीसेंट हैं। इन देशों से होने वाले ड्रग के कारोबार को रोकने के लिए दुनिया अपना नजरिया बदले।
दरअसल, नशीले पदार्थों की तस्करी को जड़ से मिटाने के लिए जीरों टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है, जिसके लिए त्रिसूत्रीय रणनीति तैयार की गई है। इसमें पहला है संस्थागत ढांचे को सुदृढ़ बनाकर जवाबदेही सुनिश्चित करना। दूसरा है नार्को संस्थाओं के साथ समन्वय पर जोर देना। तीसरा है जागरूकता अभियानों के माध्यम से देशव्यापी प्रयास करना।
इसके अलावा देश  के तमाम राज्यों में लगातार एंटी नॉरकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन भी किया जा रहा है। इसके लिए सभी राज्यों से राजनीतिक मतभेदों को एकतरफ रख मादक पदार्थ के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील भी की गई है ताकि नशीले पदार्थ का कारोबार करने वालों के खिलाफ कठोर रुख अपनाया जा सके। निस्संदेह, देश अभी उस मोड़ पर है जब देश में नशे के खिलाफ लड़ाई को लड़कर जीता जा सकता है। जो लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं, वे पीड़ित हैं और जो उन्हें बेचते हैं वो अपराधी हैं। इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों में ड्रग तस्करी के खिलाफ कई कदम उठाए गए हैं जिसके काफी अच्छे परिणाम मिले हैं। राष्ट्रीय नॉरकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और एएनटीएफ देश की दूसरी एजेंसियों के साथ समन्वय कायम कर युद्ध स्तर पर कई काम कर रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क पर चोट करने के लिए एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय, जांच के लिए सीबीआई, समुद्र से तस्करी रोकने के लिए कोस्ट गार्ड और नौसेना से संयुक्त समन्वय समिति के जरिये काम किया जा रहा है। इन बहुआयामी प्रयासों के कारण जब्त किए गए नशीले पदार्थों की मात्रा में लगभग 160 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसका कारोबार करने वालों के खिलाफ दर्ज मामलों में 152 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2006 से 2013 की अवधि के दौरान दर्ज मामलों की संख्या 1257 थी, जो 2014 से 2023 के दौरान 3 गुना बढ़कर लगभग 3755 हो गई है। वर्ष 2006 से 2013 में 1363 गिरफ्तारियां हुईं थी जो कि 2014 से 2023 की अवधि के दौरान 4 गुना बढ़कर करीब 5745 हो गई।
ड्रग्स के समूचे इकोसिस्टम को खत्म करने के लिए समुद्री मार्ग पर भारतीय तटरक्षक बल को नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टेंस एक्ट के तहत समुद्र में नशीले पदार्थों को जब्त करने की शक्ति प्रदान की गई है। ड्रग्स के स्रोत और बाजार, दोनों पर प्रहार करते हुए इसके पूरे नेटवर्क को जड़ सहित उखाड़ फेंकने का संकल्प है। ऐसे में राज्य सरकारों का भी फर्ज बनता है कि वह नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कड़े कदम उठायें और जनता में जागरूकता लायें।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement