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10 को दो संतों के सम्मान में राज्यस्तरीय समारोह

11:44 AM Jul 08, 2022 IST
10 को दो संतों के सम्मान में राज्यस्तरीय समारोह
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चंडीगढ़, 7 जुलाई (ट्रिन्यू)

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हरियाणा सरकार ‘संत-महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना’ के तहत महापुरुषों के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही है। इसी कड़ी में अब बाबा मक्खन शाह लबाना और बाबा लक्खी शाह वंजारा की जयंती पर 10 जुलाई को कुरुक्षेत्र के थानेसर की नई अनाज मंडी में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।

कार्यक्रम को लेकर सीएम ने कहा कि हमारे संत-महात्मा, गुरु और महापुरुष न केवल हमारी अमूल्य धरोहर हैं बल्कि हमारी प्रेरणा भी हैं। ऐसी महान विभूतियों की शिक्षाएं पूरे मानव समाज की धरोहर हैं। उनकी विरासत को संभालने व सहेजने की जिम्मेदारी हम सबकी है। उन्होंने कहा कि बाबा मक्खन शाह लबाना और बाबा लक्खी शाह वंजारा की जयंती पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम का भव्य तरीके से आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासी भारी संख्या में इस समारोह में हिस्सा लेंगे।

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कर्नाटक में हुआ था बाबा लबाना का जन्म : बाबा मक्खन शाह लबाना का जन्म सन 1619 में कर्नाटक के हम्पी शहर कर्नाटक में हुआ। बाबा मक्खन शाह लबाना (पेलिया वणजारा) का नाम सिख इतिहास में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। बाबा मक्खन शाह लबाना सातवें, आठवें और नौवें सिख गुरु साहिब के समकालीन थे। गुरु साहिबान के प्रमुख मसंदों में से एक थे। नौवें सिख गुरु तेग बहादुर साहिब को लेकर विरोधियों के द्वारा भ्रम फैलाए जा रहे थे। उनको दूर करने में उनकी अहम भूमिका रही। बाबा मक्खन शाह लबाना एक अमीर व्यापारी थे। इनका व्यापार एशिया, अफ्रीका और यूरोप तक फैला हुआ था। बाबा मक्खन शाह लबाना और बाबा लक्खी शाह वंजारा सगे साढू भी थे।

बाबा लक्खी शाह वंजारा का जन्म गांव खैरपुर जिला मुजफ्फरगढ़ (पाकिस्तान) में 4 अप्रैल, 1580 को भाई गोदु नायक के घर में हुआ था। बाबा लक्खी शाह वंजारा पुत्र भाई गोदु शाह, पौत्र भाई ठाकुर शाह और भाई प्रषोत्तम शाह के पड़पौत्र हैं। जो पीढ़ियों से गुरु नानक साहिब के श्रद्धालु रहे हैं। भाई ठाकुर नायक दूसरे नानक गुरु अंगद साहिब के सान्िनध्य में थे और गुरु साहिब ने उन्हें धार्मिक प्रचार के लिए उपदेशक/मसंद के रूप में नियुक्त किया था।

परिवार ने पीढ़ी दर पीढ़ी गुरु नानक साहिब के घर में दसों गुरु साहिबानों के साथ अग्रिम होकर सिक्खी सेवा कमाई थी व शहादत के समय परिवार के सदस्य अग्रिम पंक्ति में खड़े थे। 11 नवंबर, 1675 गुरु तेग बहादुर साहिब को दिल्ली में औरंगजेब के आदेशों पर शहीद किया गया तब बाबा लक्खी शाह वंजारा चांदनी चौक से गुरु तेग बहादुर साहिब के शरीर को उठाकर ले आए और अपने घर में उनका अंतिम संस्कार किया।

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