ऊर्जा और सेहत का वसंती पीला रंग
रेणु जैन
ऋतुओं का राजा वसंत आने को है। इस ऋतु को ऋतुओं का राजा इसलिए कहा जाता है कि इस ऋतु में प्रकृति अपना अपूर्व सौंदर्य बिखेरती है। इसलिए इसे मधुऋतु, ऋतुराज तथा कुसुमाकर के नाम से भी जाना जाता है। इसके आगमन से पेड़-पौधे नए कपड़े पहन लेते हैं। ऋतुओं का राजा कोई कमी नहीं छोड़ता, फूलों की अगवानी और सजावट करने में। वसंत ऋतु में खेतों में हरे-पीले फूलों के जैसे कालीन बिछने लगते हैं। यही वजह है कि वसंत पंचमी के दिन सब कुछ पीला कर देने का रिवाज है।
अनूठी किंवदंतियां
शास्त्रों में वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक किंवदंती मशहूर है कि जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना कर संसार को देखा तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई दिया। सारा वातावरण उदास था। किसी की कोई आवाज भी नहीं। यह देख ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल में से पृथ्वी पर जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई, जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी। उस देवी को सरस्वती कहा गया। इसीलिए वसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा भारत, पश्चिमोत्तर, बांग्लादेश, नेपाल तथा कई राष्ट्रों में बड़े उत्साह, उल्लास से मनाई जाती है। हमारे यहां हर त्योहार बेहद अनूठी परम्पराओं से भी जुड़े होते हैं। कुछ प्रदेशों में वसंत पंचमी के दिन शिशुओं को पहला अक्षर सिखाया जाता है। सरस्वती पूजन के दौरान स्लेट, कॉपी, किताब तथा पेन का स्पर्श कराया जाता है। इसी तरह गांवों में आज भी वसंत पंचमी के साथ 40 दिनों का फ़ाग उत्सव शुरू हो जाता है।
भारतीय जीवन-दर्शन में वसंत
भारतीय साहित्य, संगीत तथा कला में वसंत ऋतु का महत्वपूर्ण स्थान है। संगीत में एक विशेष राग वसंत के नाम पर बनाया गया है। जिसे राग वसंत कहते है। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु का प्रिय रंग भी पीला है। शास्त्रों के अनुसार भगवान की पूजा-अर्चना के समय पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीले रंग को गुरु का रंग कहा जाता है।
पीले रंग का निराला आभामंडल
प्राचीन समय से ही पीले रंग को ऊर्जावान रंगों की श्रेणी में रखा गया है। हाल ही में अमेरिका में एक शोध में यह बात सामने आई है कि पीला रंग इंसान की उमंग को बढ़ाने के साथ-साथ दिमाग को अधिक सक्रिय करता है। यह अध्ययन अमेरिका के 500 से अधिक लोगों पर तीन साल तक किया गया जिसमें पता चला कि जो लोग पीले रंग के कपड़ों को ज्यादा प्राथमिकता देते थे, उनकी कार्यक्षमता और आत्मविश्वास दूसरे लोगों की तुलना में काफी अधिक था। अध्य्यन में यह बात भी सामने आई कि इन लोगों ने अपने कार्य के साथ-साथ अपने को स्वस्थ रखने का ध्यान भी अधिक रखा। शोधकर्ताओं का मानना है कि पीले रंग के कपड़े पहनने से दिमाग के सोचने-समझने वाला हिस्सा अधिक सक्रिय हो जाता है। जो मनुष्य के अंदर ऊर्जा पैदा करता है। यह रंग इंसान के भीतर खुशी और उमंग पैदा करता है। भारत के कई लोग गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं जिसका महत्व ऊर्जा से जुड़ा है। पीले रंग से निकलने वाली तरंगें वातावरण में एक औरा (आभामंडल) बनाती है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। पूजा में पीले कपड़े पहनने से मन स्थिर रहता है तथा मन में अच्छे विचार आते हैं। पीले रंग को अग्नि का प्रतीक भी माना गया है। अग्नि को हमारे धर्म में बहुत पवित्र माना गया है। वीरता के प्रतीक पीले रंग की पगड़ी शोभनीय तथा आकर्षक होती है।
स्वास्थ्यवर्धक पीला रंग
पीले रंग के साथ यदि पीले रंग के खाद्य पदार्थ इस्तेमाल करते हैं तो आप स्वस्थ भी रहते हैं। पीले रंग के फल तथा सब्जियां हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं। वसंत पंचमी को इसीलिए मीठे चावल बनाने की प्रथा है। कहा तो यहां तक जाता है कि पीले खाद्य पदार्थ पेट संबंधित बीमारियों से दूर रखता है।
मूड़ बदले पीला रंग
विद्यार्थियों के लिए सात्विकता के प्रतीक इस रंग के बारे में कहा जाता है कि यह बुद्धि के विकास का प्रतीक है। पीला रंग पढ़ाई, लिखाई, एकाग्रता और मानसिक स्थिरता के लिए बेहतर है। सृजन का प्रतीक यह रंग हमें परोपकारी बनने की प्रेरणा देता है। पीले रंग के बारे में कहा जाता है कि यदि इस रंग पर नजरें गड़ाए रखें तो यह रंग आपके मूड को बदलने की ताकत रखता है। इससे दिनभर ऊर्जा का स्तर बढ़ा हुआ रहता है।
व्रत-पर्व
12 फरवरी : भद्रा (रात 4.14 से), गौरी तृतीया व्रत (गोंतरी), श्री गणेश तिल चतुर्थी, वरद् कुन्द चतुर्थी, पंचक।
13 फरवरी : भद्रा (दोपहर 2.43 तक), फाल्गुन संक्रांति (30 मुहूर्ति), मंडमूल 12.36 बाद, वरद् चतुर्थी श्री गणेश पूजा, पंचक।
14 फरवरी : पंचक समाप्त (सुबह 10.43 पर), वसंत-पंचमी, लक्ष्मी-सरस्वती-पूजन, वागेश्वरी जयंती, गंडमूल।
15 फरवरी : गंडमूल (सुबह 9.26 तक)।
16 फरवरी : भद्रा (सुबह 8.55 से रात 8.36 तक), रथ-आरोग्य सप्तमी, पुत्र सप्तमी व्रत, श्री माधवाचार्य जयंती, भानु सप्तमी, भीष्माष्टमी, मर्यादा महोत्सव (जैन)।
18 फरवरी : गुप्त नवरात्र समाप्त। - सत्यव्रत बेंजवाल