पैरा खिलाड़ियों के लिए खेल तंत्र
खेल सुविधाएं दें
देश का कोई खिलाड़ी जब किसी भी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करता है तब उस पर पुरस्कारों की बौछार की जाती है। लेकिन उससे पहले या बाद में खिलाड़ियों को कोई नहीं पूछता। ऐसा पैरा खिलाड़ियों के साथ भी हो रहा है। इससे सरकार का खिलाड़ियों के प्रति ढुलमुल रवैये का ही पता चलता है। पैरा खिलाड़ियों के लिए अनुकूल खेल तंत्र तभी विकसित हो सकता है जब समाज, परिवार, शिक्षक इनकी दिव्यांगता को इनकी कमजोरी न समझें। सरकारें इन्हें खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। हर जिला मुख्यालयों में इनके लिए खेल एकडेमी स्थापित करें।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
मोहताज न रहें
टोक्यो में पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता नि:संदेह प्रेरणादायक है। उनका प्रदर्शन सामान्य व्यक्ति के लिए भी प्रेरणा की मिसाल है। यह प्रदर्शन इस तथ्य को सार्थक करता है कि जज्बा हो तो जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है। दरअसल, देश में दिव्यांगों के जीवन के अनुकूल परिस्थितियां विकसित नहीं की जा सकी हैं। खेल के लिए अनुकूल वातावरण तो दूर की बात है। ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों को खेल संबंधी सारी सुविधाएं दी जाएं और सरकारी नौकरियां भी दी जाए ताकि वे किसी के मोहताज न रहे।
पूनम कश्यप, बहादुरगढ़
मान-सम्मान मिले
टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर राष्ट्र के गौरव को चार चांद लगाए। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि दिव्यांगता व्यक्ति के लिये अभिशाप नहीं है। सरकारों को उनके उत्साहवर्धन हेतु मानसिक-शारीरिक रुचियों के मद्देनजर अलग से खेल प्रकोष्ठ की स्थापना करनी चाहिये। नि:शुल्क खेल प्रशिक्षण केंद्रों में आदर्श कोच नियुक्त करने चाहिए। उच्च सरकारी पदों पर नियुक्ति से समाज में उनका खोया मान-सम्मान प्राप्त हो सकेगा।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
तंत्र को सुधारें
देश के सरकारी खेल तंत्र की उदासीनता ने हमेशा खेल प्रेमियों को निराश किया है। नतीजतन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से भरा यह देश दुनिया के खिलाड़ियों के सामने बौना दिखता है। देश के खेल तंत्र पर राजनीतिक प्रभाव ने पैरा खिलाड़ियों की उम्मीदों को व्यक्तिगत संसाधनों के भरोसे छोड़ दिया है। हाल के पैरालंपिक्स में खिलाड़ियों में छिपी अद्भुत प्रतिभा दुनिया के सामने उभर कर आयी हैं। खिलाड़ियों का प्रदर्शन खेल तंत्र के सामने चुनौती बन कर खड़ा हो गया है। बेहतर नतीजों के लिए खेल तंत्र को पैरा खिलाड़ियों के अनुकूल बनाना होगा। शारीरिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को तराशने के लिए खेल तंत्रों की मजबूती जरूरी है।
एमके मिश्रा, रांची, झारखंड
नीति बनाएं
टोक्यो में संपन्न हुए पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने पांच सोने के मेडल समेत 19 मेडल जीतकर न केवल इतिहास रचा बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि हम किसी से कम नहीं। सरकार को दिव्यांगों के लिए एक अलग खेल नीति बनानी चाहिए तथा खेल विभाग में दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक अलग प्रकोष्ठ बनाना चाहिए। समाज के लोगों को इन्हें सम्मान की दृष्टि से देखकर प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि ये लोग पैरालंपिक खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाकर और ज्यादा पदक जीतकर देश का नाम रौशन कर सकें।
शामलाल कौशल, रोहतक
अनुकूल वातावरण बने
टोक्यो ओलम्पिक में देश के पैरा खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से देश का गौरव बहुत ऊंचा किया है। इन खिलाड़ियों ने अपने जुनून व जज्बे पर सवार होकर पदक जीते हैं। बहुत बार दिव्यांगजनों को सामाजिक भेदभाव अथवा कष्ट से गुजरना पड़ता है। यह बहुत दु:खद है। देश में ऐसे खिलाड़ियों के लिए एक सम्माननीय सोच, सम्माननीय माहौल देने का दृढ़ संकल्प लें। इसके साथ ही पैरा खिलाड़ियों के लिए ब्लॉक स्तर पर ही मजबूत खेल तंत्र का निर्माण किया जाएं। इससे अनेक स्वर्ण व रजत पदक जीतने वाले निकल कर सामने आयेंगे।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम
प्रतिभाओं को संबल दें
टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन ने देश का गौरव बढ़ाया है। जिन हालात में अधिकांश लोग निराशा व असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं, इन्होंने उन हालात को अवसर में तब्दील कर दिया। सामान्य मानव जीवन के लिए यह अत्यधिक प्रेरणादायक है। हमारे खेल नीति निर्धारकों का दायित्व बनता है कि इन्हें समानता, स्नेह व सम्मानजनक जीवनयापन करने के अवसर उपलब्ध करवाए जाएं। खेलतंत्र भी इनकी आवश्यकताओं व सुविधाओं को ध्यान में रखकर ही नीति निर्धारण करे। किसी भी राष्ट्र का मूलभूत ढांचा उस राष्ट्र की प्रतिभा ही होती है।
विनोद सिल्ला, टोहाना, फतेहाबाद