For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

नई ऊर्जा देता है आध्यात्मिक वातावरण

10:04 AM Nov 18, 2024 IST
नई ऊर्जा देता है आध्यात्मिक वातावरण
Advertisement

Advertisement

कमलेश भट्ट
देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित सिद्धपीठ मां ज्वाल्पा देवी मंदिर आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। यह पवित्र धाम कफोलस्यूं पट्टी के अणेथ गांव में पूर्वी नयार नदी के तट पर स्थित है, जहां श्रद्धालु सालभर माता के दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रों में यहां पूजा-अर्चना का विशेष आयोजन होता है, जो भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और मंगलकारी माना जाता है।
मंदिर का गर्भगृह
मंदिर का गर्भगृह माता की अखंड जोत के रूप में प्रतिष्ठित है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। मंदिर परिसर में यज्ञ कुंड के साथ-साथ हनुमान मंदिर, शिवालय, काल भैरव मंदिर और मां काली मंदिर भी स्थित हैं, जो इस धाम की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ाते हैं।
कथा और धार्मिक मान्यता
मां ज्वाल्पा देवी मंदिर की स्थापना को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस स्थान पर देवी की आराधना की थी और उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी ने यहां प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था। यह स्थान केदार खंड के मानस खंड में भी वर्णित है, जहां इसे नबालिक नदी के तट पर स्थित सिद्धपीठ के रूप में बताया गया है।
स्कंद पुराण की कथा
स्कंद पुराण के अनुसार, सतयुग में दैत्यराज पुलोम की पुत्री शची ने देवराज इंद्र को पति रूप में पाने के लिए यहां कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उनकी मनोकामना पूर्ण की और ज्वाल्पा देवी के रूप में प्रकट हुईं। तभी से यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय बन गया।
पहुंच और सुविधाएं
मां ज्वाल्पा देवी मंदिर पौड़ी के मुख्यालय से लगभग 30 किमी और कोटद्वार से करीब 72 किमी दूर कोटद्वार-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। मंदिर में नियमित रूप से आयोजित होने वाली धार्मिक गतिविधियों और यज्ञ अनुष्ठानों में भाग लेकर भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की कामना करते हैं।
मां ज्वाल्पा देवी मंदिर, न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि एक ऐसा स्थान भी है जहां भक्त अपनी समस्याओं का समाधान और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। यहां की शांति और आध्यात्मिक वातावरण हर श्रद्धालु को एक नई ऊर्जा प्रदान करता है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement