दूरियों की आवाज़
संत आत्मानंद ने अपने शिष्यों से पूछा, ‘जब दो लोग एक-दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं? शिष्यों ने कहा, ‘अपनी शांति खोने के कारण चिल्लाने लगते हैं।’ संत आत्मानंद ने मुस्कुराते हुए कहा, दोनों लोग एक-दूसरे के काफी करीब होते हैं तो फिर धीरे-धीरे भी तो बात कर सकते हैं।’ शिष्यों ने जवाब दिया, लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुद उत्तर देना शुरू किया। वह बोले, ‘जब दो लोग एक-दूसरे से नाराज होते हैं तो उनके दिलों में दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। जब दूरियां बढ़ जाएं तो आवाज को पहुंचाने के लिए उसका तेज होना जरूरी है। दूरियां जितनी ज्यादा होंगी उतनी तेज चिल्लाना पड़ेगा। दिलों की यह दूरियां ही दो गुस्साए लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर देती हैं। जब दो लोगों में प्रेम होता है तो वह एक दूसरे से बड़े आराम से और धीरे-धीरे बात करते हैं। प्रेम दिलों को करीब लाता है और करीब तक आवाज पहुंचाने के लिए चिल्लाने की जरूरत नहीं।’ संत आत्मानंद बोले, ‘अब जब भी कभी बहस करें तो दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें। शांत चित्त और धीमी आवाज में ही बात करें। ध्यान रखें कि कहीं दूरियां इतनी न बढ़ जाएं कि वापस आना ही मुमकिन न हो।’
प्रस्तुति : सुरेन्द्र अग्निहोत्री