कैंसर के खिलाफ ‘मां गौरी’ बनीं सोनीपत की बेटी
हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 9 अप्रैल
कैंसर जैसी घातक बीमारी का नाम सुनकर ही इंसान घबरा जाता है। लेकिन सोनीपत की मॉडल टाउन निवासी गौरी कपूर इस बीमारी के खिलाफ ‘शक्तिस्वरूपा’ बनकर उभरीं। उन्होंने हिम्मत से न केवल अपने ब्रेन कैंसर को हराया, बल्कि इसी बीमारी से जूझ रहे हजारों युवाओं का सहारा भी बनीं। शक्ति की आराधना पर्व नवरात्र के इस मौके पर आइये जानें इस ‘देवी’ की पूरी कहानी।
गौरी कपूर 2016 में बेंगलुरू स्थित एक नामी कंपनी में फैशन डिजाइनर थीं। इसी बीच एक जांच में पता चला कि उन्हें ब्रेन कैंसर है। एकबारगी गौरी और उसका परिवार पूरी तरह से हिल गया। बहुत इलाज कराया, मगर कोई सुधार नहीं हुआ। अथक प्रयासों से 2017 में उन्हें एम्स, नयी दिल्ली में सर्जरी की डेट मिली। ऑपरेशन टेबल पर पहुंचने से पहले ही चिकित्सकों ने कहा, हालत गंभीर है बचने की उम्मीद नहीं है। गौरी को लौटा दिया गया। बकौल गौरी कपूर, ‘मैंने ठान लिया था कि बीमारी को हराकर ही दम लूंगी।’ फिर होम्योपैथिक उपचार शुरू किया। गौरी कहती हैं, ‘इच्छा शक्ति, फौलादी इरादे और दवाओं व दुआओं से स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हो गया।’ इससे हिम्मत बढ़ी और गौरी ने 2017 में अपनी दोस्त सोनीपत निवासी दिलावर नैंसी और दिल्ली आईआईटी के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनी में जॉब कर रहे नोएडा निवासी आकाश शर्मा की मदद से ‘द्रोणाचार्य डिजिटल मार्केटिंग’ नाम से कंपनी बनायी। बाद में आकाश भी अपनी जॉब छोड़कर कंपनी का हिस्सा बन गया। कुछ समय उपरांत उनकी कंपनी सरकार की एमएसएमई स्किल योजना से भी जुड़ गयी। गौरी कपूर बताती हैं कि लंबे इलाज के बाद 2020 में वह ब्रेन कैंसर से पूरी तरह से मुक्त हो गयीं। वह इसे चमत्कार ही मानती हैं। खुद ठीक होने के बाद गौरी ने कैंसर रोगियों की मदद करने की ठान ली। अब वह इसी काम में अनवरत लगी हैं।
कोरोना काल में हजारों को दिया सहारा
गौरी ने अपने दोनों साथियों की मदद से युवा कैंसर रोगियों को नि:शुल्क डिजिटल मार्केटिंग की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। करीब 4 साल में अब तक 2 हजार से अधिक कैंसर रोगियों को ट्रेनिंग देकर उन्हें ट्रेंड कर चुकी हैं। प्रेरक प्रसंग सुनाकर उन्हें मोटिवेट करते हुए जहां उन्हें कैंसर से लड़ने की ताकत दे रहीं हैं, वहीं अपनी कंपनी के माध्यम से रोजगार भी दिला रही हैं। उनकी कंपनी युवाओं को डिजिटल मार्केटिंग का एक साल का डिप्लोमा कराती हैं जो जरूरतमंद बच्चों के लिए नि:शुल्क है। उनका दावा है कि वह अब तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के 12 हजार से अधिक 10वीं व 12वीं कक्षा के छात्रों को नि:शुल्क ट्रेनिंग दे चुकी हैं।
कर्मठ कन्याएं
नवरात्र नि:संदेह नारी-शक्ति को प्रतिष्ठित करने का पर्व है। इसके आध्यात्मिक-सामाजिक निहितार्थ यही हैं कि हम अपने आसपास रहने वाली उन बेटियों के संघर्ष का सम्मानपूर्वक स्मरण करें जिन्होंने अथक प्रयासों से समाज में विशिष्ट जगह बनायी। साथ ही वे समाज में दूसरी बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनीं। दैनिक ट्रिब्यून ने इसी कड़ी में नवरात्र पर्व पर उन देवियों के असाधारण कार्यों को अपने पाठकों तक पहुंचाने का एक विनम्र प्रयास किया है, जो सुर्खियों में न आ सकीं। उनका योगदान उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणादायक होगा जो अनेक मुश्किलों के बीच अपना अाकाश तलाशने में जुटी हैं।
-संपादक