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Son of Brahma : भारत का पिता कहलाती है यह इकलौती नदी, गहराई इतनी की आसानी से डूब जाए कुतुब मीनार

03:07 PM Jan 01, 2025 IST

चंडीगढ़, 1 जनवरी (ट्रिन्यू)

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Son of Brahma : भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी रूप में पूजा जाता है। भारत में गंगा, सरस्वती, नर्मदा जैसी कई नदियां हैं, जिन्हें लोग माता मानते हैं लेकिन हम आपको भारत के पिता के रूप में पहचाने जाने वाली नदी के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, भारत में एकमात्र ऐसी नदी है, जिसे पुरुष नदी यानि भारत का पिता कहा जाता है।

ब्रह्मापुत्र के नाम से है पहचान

हम बात कर रहे हैं ब्रह्मपुत्र नदी की। ब्रह्मपुत्र नदी पर कई पौराणिक कथाएं हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी सृष्टि के हिंदू देवता ब्रह्मा और ऋषि शांतनु की पत्नी अमोघा के पुत्र है। ब्रह्मादेव अमोघा की सुंदरता से प्रभावित हुए और उन्होंने उसे विवाह का प्रस्ताव दिया। विवाह के बाद उनके घर एक बालक का जन्म हुआ, जो पानी के रूप में नीचे की ओर बहता रहा। ऋषि शांतनु ने बालक को चार पर्वतों कैलाश, गंधमादन, जारुधि और संवर्तक के बीच में रखा। लड़का बड़ा होकर ब्रह्म कुंड नामक एक बड़ी झील में बदल गया।

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परशुराम ने पाई थी मुक्ति

'कालिका पुराण' की एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार , भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक भगवान परशुराम ने बालक को मुक्त करने के लिए अपनी कुल्हाड़ी से ब्रह्म कुंड के किनारों को तोड़ दिया, जिससे ब्रह्मपुत्र नदी बन गई। इसके बाद उन्होंने इस पवित्र नदी में स्नान किया, ताकि वह अपनी ही मां का सिर कुल्हाड़ी से काटने के पाप से मुक्ति पा सके।

भारत की सबसे गहरी नदी

अन्य नदियों के विपरीत जिन्हें मां के रूप में पूजा जाता है वहीं, ब्रह्मपुत्र को एक पुरुष नदी माना जाता है। पूर्वोत्तर राज्य असम में बहने वाली इस नदी की पूजा हिंदुओं के अलावा, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी करते हैं। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को सांपो, अरुणाचल प्रदेश में डिहं और बांग्लादेश में जमुना के नाम से पहचाना जाता है।

भारत की सबसे गहरी और चौड़ी इस नदी की गहराई 140 मीटर है, जो मानसरोवर झील के पास कैलाश श्रेणी के चेमायुंगडुंग हिमनद से निकलती है। 2900 किलोमीटर लंबी इस नदी का सबसे गहरा प्वाइंट असम के तिनसुकिया में पड़ता है जबकि इसका उद्गम स्थल हिमालय के उत्तर में तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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