शिकायत दर्ज होने के 23 साल बाद दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मौजूदा उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए मानहानि मामले में दोषी ठहराया।मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर के बयानों को अपमानजनक और नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए तैयार किया गया बताते हुए कार्यकर्ता को आईपीसी के तहत आपराधिक मानहानि के अपराध का दोषी ठहराया, जिसमें अधिकतम दो साल तक की साधारण कारावास या जुर्माना या सजा का प्रावधान है या दोनों संभव है।सजा को लेकर दलीलें 30 मई को सुनी जाएंगी। केस के मुताबिक पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ एक वाद दायर किया था। सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।सक्सेना ने भी एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और प्रेस को मानहानिकारक बयान जारी करने के लिए पाटकर के खिलाफ दो मामले दायर किए थे।