बोया तालिबान तो अफगान कहां से होए
आजकल लगभग सभी लोगों ने यानी अच्छी नजर वाले, बुरी नजर वाले और यहां तक कि अंधों ने भी अपना-अपना चश्मा बनवा रखा है। हम सभी लोग जरूरत के मुताबिक अपनी आंखों पर अपना चश्मा चढ़ा लेते हैं और किसी भी घटना को अपने नजरिए से देखते हैं। अफगानिस्तान की घटना भी अपवाद नहीं है और इसने सोशल मीडिया के वीरों में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया है। कंधार से हमारी यादें जुड़ी हैं और यह हमारे लिए दुःस्वप्न की तरह है। यहीं हमें दुर्दांत दहशतगर्दों को छोड़ना पड़ा था। हालांकि, यही कंधार पंजाब के राजा रंजीत सिंह का सूबा हुआ करता था। अफगानिस्तान पर सेना के गुलाम पाक प्रधानमंत्री का नापाक बयान आया है कि अफगानिस्तान ने गुलामी की जंजीरों को उखाड़ फेंका है और अब वे आजाद हो गए हैं। आखिर क्यों अफगानी आजादी से गुलामी की ओर भाग रहे हैं और अपनी जान की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। उन्हें विमान से गिरकर मर जाना गवारा है पर ऐसी आजादी मंजूर नहीं है। सही कहा इश्कबाज क्रिकेटर ने अब वहां की आधी नहीं पूरी आबादी ही आजाद है। वहां अब आजादी ही आजादी है, घर के भीतर रहने की आजादी, कोड़े खाने की आजादी, बुर्का पहनने की आजादी, खवातीनों को स्कूल कॉलेज और नौकरी से आजादी, हाथ कटवाने की आजादी, शरिया कानून मानने की आजादी, सिर कलम करवाने की आजादी, गोली खाने की आजादी। क्या इतनी आजादी कम है? क्या वे अपने मुल्क में भी ऐसी आजादी लाना पसंद करेंगे?
दहशतगर्दों और गधों का निर्यात करने वाले क्या अब इस अद्भुत आजादी का आयात करेंगे। अफगानिस्तान से रूस को बेदखल करने के लिए अमेरिका ने तालिबान को बढ़ावा दिया और अब तालिबान ने जन विरोध के बाद भी चीन, पाकिस्तान और रूस की मदद से अमेरिकियों को बाहर निकलने को मजबूर कर दिया है। अब यही कहा जाएगा—‘बोया तालिबान तो अफगान कहां से होए’ और बोया अफीम तो काजू कहां से होए। सुना है अब चीन भी तालिबान और अफीम की खेती करने वाला है।
अमेरिका और अन्य देशों ने अफगानिस्तान में अरबों रुपये निवेश किए हैं। अमेरिका ने सेना को हथियार, गोला-बारूद, ड्रोन, टैंक, विमान आदि मुहैया करवाए और अपने आप को वहां का चौकीदार घोषित किया था। अब इन सब पर तालिबान का कब्जा है अतः यही कहा जाएगा चौकीदार का माल चांडाल खाए। अमेरिका अपने सैनिकों को लेकर फुर्र हो गया है, वही अशरफ गनी मनी लेकर फुर्र हो गया है। केवल फिल्मों के ही महानायक उनसे यही कहेंगे— अब तो अशरफ तू भागताइच रहेगा। शरीफ और बदमाश मुशर्रफ और अब अशरफ तक इन पड़ोसियों ने भागने का ही रिकॉर्ड बनाया है। तालिबानी अशरफ से शायद यही कहेंगे :-
हमसे रूठ कर कहां जाइएगा,
जहां जाइएगा हमें पाइएगा।