... ताकि युवा सरलता से सीख लेें संस्कृत
यशपाल कपूर
माज में कुछ लोग संस्कृत सीखना जटिल समझते हैं। लेकिन देवभाषा को सीखना अब बेहद आसान हो जाएगा। संस्कृत भाषा को सीखने के लिए रॉट लर्निंग की आवश्यकता नहीं पढ़ेगी यानी संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूत्र व वर्तिकाओं को रटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सोलन के 94 वर्षीय संस्कृत विद्वान प्रो. मनसा राम शर्मा अरुण ने देवभाषा को सीखने के लिए बेहद ही आसान तरीका इजाद किया है। उनका दावा है कि इससे 24 मिनट में कोई भी व्यक्ति संस्कृत भाषा को सीख सकता है। उन्होंने अपने फार्मूले को स्वर्णिम आयत सिद्धांत का नाम दिया है।
जटिलताएं कम करना है उद्देश्य
प्रो. मनसाराम ने बताया कि संस्कृत हमारी देश की समृद्ध भाषा है, लेकिन भाषाई जटिलताओं के कारण कम युवाओं का रुझान संस्कृत भाषा की ओर है। वहीं आजकल अंग्रेजी भाषा आज विश्व की सबसे लोकप्रिय भाषा के रूप में उभरी है। खास बात यह है कि अंग्रेजी भाषा में व्याकरण को कभी भी अलग से नहीं पढ़ाया जाता है। वाक्य के आधार पर ही व्याकरण को पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत की सबसे छोटी व्याकरण पुस्तक लघु कौमुदी है। इसमें 1200 सूत्र, 1200 वार्तिकाएं और 1200 भाष्य हैं। ऐसे में संस्कृत भाषा को पढ़ना और उसके व्याकरण को रटना आम आदमी के लिए कठिन हो जाता है। इससे संस्कृत का व्याकरण भी कठिन हो जाता है और विद्यार्थी पर अनावश्यक बोझ भी पड़ जाता है। गैर संस्कृत भाषी लोगों को संस्कृत भाषा से जोड़ने के लिए उन्होंने स्वर्णिम आयत सिद्धांत तैयार किया।
क्या है स्वर्णिम आयत सिद्धांत
प्रो. शर्मा कहा कि आयत के 20 खंडों में एक-एक शब्द है। इन शब्दों को इधर-उधर करने से वाक्य बन जाता है। उन्होंने कहा कि 1 और 2 खंडों का एक सूत्र, 3 व 4 खंड का दूसरा सूत्र, पांच का तीसरा, 6 व 7 खंड का चौथा सूत्र, 8 व 9 अंकों का पांचवां सूत्र और 10 खंड का 6, 11 व 12 का 7वां, 13 व 14 का 8वां, 15 खंड का 9वां सूत्र बन जाता है। इनकी सहायता से किसी भी सीखने वाले को आसानी से प्रारंभिक स्तर की संस्कृत आ जाएगी। इनके अलावा अन्य खंडों को विशेष ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि जहां एक वचन है, वहां क्रिया भी एकवचन की, जहां प्रथम पुरुष, वहां क्रिया भी प्रथम पुरुष की लगेगी। इससे हिन्दी भाषा को अच्छी तरह बोलने व लिखने वाला कोई भी व्यक्ति एक घड़ी यानि 24 मिनट में संस्कृत भाषा को सीख सकता है।
संस्कृत की शिक्षा, पत्रकारिता भी
प्रो. मनसाराम शर्मा संस्कृत के जाने-माने विद्वान हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग में संस्कृत प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान एससीईआरटी सोलन में संस्कृत भाषा के प्रोफेसर के रूप में वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। संस्कृत भाषा के लिए उम्र के इस पड़ाव पर भी उनका जोश कम नहीं हुआ। संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए वह निरंतर कार्य करते हैं। सोलन में वे 85 वर्ष की आयु तक संस्कृत का हस्तलिखित समाचार पत्र चलाते रहे हैं। अब वह अपना समय धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में व्यतीत करते हैं। जब तक वह चल सकते थे प्रतिवर्ष सोलन में संस्कृत भाषा में मैरिट में आने वाले छात्रों को अपनी मासिक पेंशन छात्रवृत्तियां देते रहे। सोलन में कई कार्यक्रम अपने खर्चे पर आयोजित कर यहां संस्कृत के मेधावी छात्रों को सम्मानित करने का सिलसिला जारी रहा। यह एक व्यक्ति की संस्कृत के प्रति उदारता है। वे संस्कृत में एक उपन्यास की रचना भी कर रहे हैं।