सधी रणनीति-कूटनीति
दशकों से पाक पोषित आतंकवादियों के हमले झेल रहे भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर व पाकिस्तान में सधे-सटीक मिसाइल हमले करके आतंक की पाठशालाएं धवस्त कर दीं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से बौखलाए पाक ने भारत के एक दर्जन से अधिक शहरों पर जो जवाबी हमले किए, भारतीय प्रतिरक्षा तंत्र ने उन्हें नाकाम कर दिया। दरअसल, भारत कई मोर्चों पर सधी चाल चल रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सेना के तीन अंगों के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व विभिन्न हितधारकों से लगातार संपर्क बनाकर कारगर रणनीति की रूप-रेखा बनायी। ताकि पाक के सैन्य प्रतिष्ठानों व नागरिकों को हमले से कोई बड़ा नुकसान न हो। लेकिन भारत की सीमित कार्रवाई को जवाब देने में पाकिस्तान जल्दबाजी कर गया। हालांकि, देश के कुछ बड़े शहरों को युद्धक विमानों और ड्रोन के जरिये निशाना बनाने का पाक अभियान हमारी कई परतों वाली सुरक्षा तकनीक से विफल हो गया। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करके युद्ध की रणनीति पर लगातार विचार करते रहे। इसी तरह सूचना व मनोवैज्ञानिक युद्ध के जरिये पाक को पस्त किया गया। उसके कई हवाई जहाज व दर्जनों आयातित ड्रोन भारतीय सुरक्षा की परतों को नहीं भेद पाये। वहीं दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दुनिया में अपने समकक्षों से संपर्क साध करके आतंकवाद के पोषक पाक को बेनकाब किया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दो टूक कहा कि वह भारत-पाक संघर्ष के बीच नहीं आएगा। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाक प्रधानमंत्री से बात कर संघर्ष को विस्तार देने से बचने का आग्रह किया। दरअसल, चीन व तुर्की को छोड़कर दुनिया के तमाम बड़े मुल्क आतंक से प्रभावित भारत के पक्ष में खड़े नजर आए हैं। वहीं सऊदी अरब के उपविदेश मंत्री अदेल अलीजुबैर और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची गुरुवार को दिल्ली पहुंचे। जिन्हें पहलगाम हमले के बाद की स्थितियों से अवगत कराया गया। भारत ने आतंक को बढ़ावा देना बंद न करने तक बातचीत से इनकार किया।
मोदी सरकार, सुरक्षा से जुड़े तमाम विभागों तथा सेना के तीनों अंगों ने बेहतर तालमेल के साथ ऑपरेशन सिंदूर तथा उसके बाद पाक द्वारा किए हमलों को विफल बनाने के लिये पर्याप्त होमवर्क किया। लगातार बैठकों व संवाद के जरिये इस चुनौती के मुकाबले की रणनीति को अंजाम दिया। जिससे देश के जनमानस का भरोसा बढ़ा कि देश सही हाथों में है। अब तक भारत पाक पोषित आतंकवादी हमलों के बाद सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर कार्यवाही की कोशिश करता रहा है। ऐसी स्थिति मुंबई हमले, संसद पर हुए हमले तथा पठानकोट एयर बेस पर हुए हमलों के बाद सामने आई। भारत सबूतों के आधार पर वैश्विक संगठनों से कार्रवाई की मांग करता रहा है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देना नये भारत की बदली रणनीति का पर्याय ही है। पहले पाक के परमाणु हथियार का डर दिखाकर भारत को कार्रवाई करने से रोका जाता रहा है। कालांतर में 2016 में उरी में 19 सैनिकों के मारे जाने पर नियंत्रण रेखा के पार व 2019 में पुलवामा विस्फोट के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई। इसी तरह पहलगाम हमले के बाद सीधी कार्रवाई करके साफ संदेश दिया कि किसी भी आतंकी हमले का जवाब आतंकवाद को सींचने वाले पाक पर भारत सीधी कार्रवाई करेगा। भारत ने पहले पूरी दुनिया को पुलवामा हमले की साजिश के सबूत दिए और फिर कार्रवाई की। यही वजह है कि दुनिया के तमाम देश भारत के पक्ष में खड़े नजर आए। अब भारत ने महज अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गुहार लगाना बंद कर दिया है। निश्चय ही यह रणनीति मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ाने के बजाय अमेरिका व इस्राइल की तर्ज पर घर में घुसकर मारने की रणनीति है। बहरहाल, भारत ने दुनिया को बता दिया कि पाक अपनी जमीन पर आतंकियों को प्रशिक्षण व समर्थन तो देता है लेकिन उनके विरुद्ध कार्रवाई से बचता है। वहीं दूसरी ओर भारत ने परंपरागत युद्ध शैली से हटकर नई तकनीकों का भरपूर उपयोग किया। भारतीय रक्षा कवच एस-400 यानी सुदर्शन चक्र आदि का पाक हमलों को विफल करना नवीनतम तकनीकों का ही प्रतिफल है।