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संकट में संजीवनी बनती है छोटी-सी आशा

07:54 AM Feb 12, 2024 IST
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रेनू सैनी

जापान एक ऐसा देश है जिसने हर त्रासदी के बाद स्वयं को संभाला है। वर्ष 1945 में इसके दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया था। वह बम इतना घातक था कि आगे आने वाली पीढ़ियों ने भी उसके दुष्परिणाम भुगते। अनेक कवियों और लेखकों ने उस त्रासदी को अपनी कलम से कलमबद्ध किया था। धर्मवीर भारती ने नाटक अंधायुग में निम्न शब्दों में विश्व को चेतावनी देते हुए मानो जापान की पीड़ा को स्वर दे दिया था :-
मैं हूं व्यास/ ज्ञात क्या तुम्हें है परिणाम इस ब्रह्मास्त्र का? यदि यह लक्ष्य सिद्ध हो ओ नर पशु!/ तो आने वाली सदियों तक पृथ्वी पर रसमय वनस्पति नहीं होगी/ शिशु होंगे पैदा विकलांग और कुंठाग्रस्त/ सारी मनुष्य जाति बौनी हो जाएगी।
इन शब्दों से युद्ध की भयावह विभीषिका को समझा जा सकता है। जापान पर जब परमाणु बम गिरे तो हर ओर त्राहि-त्राहि मच गई। उस समय मानो वहां सब कुछ खत्म-सा हो गया, सब थम-सा गया। लेकिन जापान एक ऐसा देश है जो कीबो के कारण हर पीड़ा और त्रासदी से बाहर निकलना जानता है। ‘कीबो’ शब्द से आप को भी यही लग रहा होगा न कि भला यह कौन-सा चमत्कारी शब्द है जिससे हर दुख-दर्द और व्यथा से बाहर निकलना संभव है। ‘कीबो’ शब्द जापानियों की देन है। इसका हिन्दी मंे अर्थ होता है, ‘आशा की छोटी-सी किरण’। आशा की एक छोटी-सी किरण भी घनघोर अंधकार को दूर कर देती है। आशा की एक छोटी-सी किरण संजीवनी बूटी का काम करती है। जिस व्यक्ति को यह मिल जाती है, उसे मानो नया जीवन प्राप्त हो जाता है।
आशा की किरण के संदर्भ में आज से ही नहीं अपितु सदियों से यह कहा जाता रहा है कि इससे व्यक्ति जाग्रत होकर नई मंजिलें और कामयाबी प्राप्त करता है। जब सब कुछ खत्म हो जाए लेकिन केवल आशा की एक नन्ही किरण हाथ में हो तो फिर से सब कुछ पाया जा सकता है।
ग्रीक पुराकथाओं में इससे संबंधित एक रोचक कथा भी है। इस कथा का नाम ‘पंडोरा बॉक्स’ है। इस कथा के अनुसार ज्यूस को प्रोमेथ्यूस पर गुस्सा आया कि उसने आग के रहस्य को मनुष्य को क्यों सौंप दिया? ज्यूस अब प्रोमेथ्यूस से बदला लेने की योजना बनाने लगा। एक दिन उसने उसके भाई एपीमेथ्यूस का परिचय बहुत ही सुंदर युवती पंडोरा से करा दिया। कुछ ही दिनों में एपीमेथ्यूस पंडोरा के प्रेम में दीवाना हो गया। उसे पंडोरा के सिवा कुछ नज़र ही न आता था। पंडोरा की नज़रों से दूर होते ही वह बेचैन हो जाता। हर जगह उसे ऐसा प्रतीत होता कि मानो पंडोरा उसे मुस्करा कर देख रही है और अपने पास बुला रही है। आखिर जब एपीमेथ्यूस से पंडोरा का विरह बर्दाश्त होना मुश्किल हो गया तो उसने उससे विवाह का निश्चय किया। विवाह में ज्यूस भी उन्हें आशीर्वाद देने के लिए आए। अब ज्यूस का प्रतिशोध मानो पूरा होने जा रहा था। उसने पंडोरा को एक सुंदर-सा बॉक्स देते हुए कहा कि, ‘बस इसे अपने पास संभाल कर रखना। कभी खोलने का प्रयत्न न करना, अन्यथा अनर्थ हो जाएगा।’ पंडोरा ने मुस्करा कर वह बॉक्स ले लिया। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, वैसे-वैसे पंडोरा के मन में उस डिब्बे को लेकर कौतूहल बढ़ता जाता। लेकिन एपीमेथ्यूस के सामने वह उस बॉक्स को खोल नहीं पाती थी। एक दिन एपीमेथ्यसू किसी काम से बाहर जाने लगा। वह जाते-जाते पंडोरा को बोल कर गया, ‘बॉक्स का ध्यान रखना और हां इसे खोलने का कतई प्रयास न करना।’ पंडोरा ने सहजता से सिर हिला दिया। लेकिन जैसे ही एपीमेथ्यूस घर से बाहर निकला, पंडोरा स्वयं पर काबू नहीं रख पाई। वह भागकर बॉक्स के पास गई। उसे उठाया और खोल दिया। पर यह क्या? बॉक्स खोलते ही ऐसी अकल्पनीय दुष्टता बाहर आई, जिसने हमेशा के लिए नश्वर संसार पर धावा बोल दिया। यह देखकर भय से पंडारा उसे बंद करने के लिए भागी, उसने देखा कि बॉक्स में सबसे नीचे, आशा की भावना एलपिस बची हुई थी। वही उस बॉक्स में एकमात्र अच्छी चीज थी, जो सबसे आखिर में बची रह गई।
बस तभी से यह कहा जाने लगा कि, ‘एक उम्मीद हमेशा रहती है।’ इसी एक उम्मीद को जापानी ‘कीबो’ कहकर पुकारते हैं। द्वीप के प्राकृतिक संसाधनों एवं भूकंप व सुनामियों के लगातार बने रहने वाले संकट के बीच जापानियों को अनेक संकटों का सामना करना पड़ा। परंतु उन्होंने आशा की एक छोटी-सी किरण के सहारे ही हर संकट का सामना किया और उसे सफलतापूर्वक पार किया। वे हर पीड़ा और परेशानी से उबर कर इस तरह सामने आए कि मानो कोई समस्या थी ही नहीं।
जापानी ‘कीबो’ शब्द को बहुत ही प्रभावी मानते हैं। इसलिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के जापानी मॉड्यूल का नाम भी ‘कीबो’ है। इसे अंतरिक्ष में प्रयोग करने के लिए तैयार किया गया। इसे जापान एरोस्पेस एक्सपलोरेशन एजेंसी ने तैयार किया था। आज भी यह कक्षा में है और विज्ञान को आशा देते हुए मानव की प्रगति में सहयोग दे रहा है।
मनुष्य बहुत जल्दी मायूस हो जाता है और हार मान लेता है। इस बार मायूस होने या हार मानने से पहले एक बार ‘कीबो’ को ध्यान रखें। यदि आप सदैव कीबो को साथ लेकर चलते हैं तो यकीन मानिएगा कि आप बड़ी से बड़ी जंग जीत सकते हैं।

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