रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग में फंसे गांव मटौर के छह युवा
मदन सिंह परमार/निस
कलायत, 16 मार्च
जॉब के लिए गांव मटौर से रूस गए करीब आधा दर्जन युवकों को रूस-यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया है। इन युवाओं को नौकरी देने के बजाय रूस की सेना में भर्ती कर लिया गया है।
ऐसे में ये युवा अच्छे पैसे कमाना तो दूर, अपनी जान बचाने के लिए ही संघर्ष करने को मजबूर हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में गांव मटौर के करीब आधा दर्जन बेकसूर युवकों जंग में फंस गए हैं।
परिजनों ने डीसी से बच्चों की सकुशल वापसी की गुहार लगाई है। परिजनों से मिली जानकारी अनुसार उनमें से एक युवक साहिल तो युद्ध में घायल भी हो चुका है, जिसका आर्मी कैंप में इलाज चल रहा है। वार जोन में फंसे युवा सोशल मीडिया पर संपर्क कर परिजनों और भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। गांव मटौर निवासी साहिल के पिता दिलबाग उर्फ बाघा ने बताया कि करीब 2 महीने पहले उनका बेटा साहिल और गांव के पांच से छह युवा बेहतर रोजगार की तलाश में रूस गए थे। रूस में युवाओं को यह कहकर आर्मी में नौकरी पर रख लिया गया कि उनको वार जोन से दूर रखा जाएगा। लेकिन कुछ दिन बाद उनके पासपोर्ट छीनकर उनको यूक्रेन-रूस युद्ध क्षेत्र में धकेल दिया गया। साहिल के परिजन बलराम ने बताया कि चार-पांच दिन पहले व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिये साहिल से संपर्क हुआ था। उसने बताया था कि उसको भी युद्ध में चोटें आई हैं और वह आर्मी कैंप में है। परिजनों ने रूस में फंसे अपने बच्चों की सकुशल वापसी के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई है।
डीसी को पूरे मामले से करवाया अवगत
शनिवार को सरपंच रमेश कुमार के नेतृत्व में बलबीर सिंह, दिलबाग, अमन, अजय, मनदीप आदि ग्रामीणों के शिष्टमंडल ने डीसी प्रशांत पंवार को पूरे मामले बारे अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि गांव मटौर से 6 युवा बलदेव पुत्र महेंद्र, राजेंद्र पुत्र फूल, मोहित पुत्र वेद प्रकाश, मंजीत पुत्र पाला राम, रवि पुत्र रामनिवास, साहिल पुत्र दिलबाग, रूस में फंसे हुए हैं। उन्होंने डीसी से युवकों की सकुशल वापसी की गुहार लगाई है।