Singer Rekha Bhardwaj लिरिक्स और संगीत देते हैं सुकून
गायिका रेखा भारद्वाज ने बॉलीवुड की फिल्मों के कई हिट गीतों को अपनी खनकदार आवाज दी। जिनमें ससुराल गेंदा फूल, नमक इश्क का आदि शामिल हैं। वे मानती हैं कि अच्छा काम करने के लिए इंतजार भी करना पड़ता है। वहीं वे गायन के लिए लिरिक्स और संगीत देखकर गाने का चुनाव करती हैं।
रेणु खंतवाल
जानी-मानी गायिका रेखा भारद्वाज की आवाज मिठास लिए हुए है और अपनी एक अलग ही खनक रखती है। वे दो फिल्मफेयर और एक राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी जा चुकी हैं। उनके गाये हिट गीतों में ससुराल गेंदा फूल, नमक इश्क का, हमरी अटरिया पे, फिर ले आया दिल आदि शामिल हैं। रेखा भारद्वाज का एक सिंगल गीत रिलीज हुआ है- ‘कह दो ना, कुछ तो बोलो ना’। हिमांशु शेखर द्वारा लिखे इस गीत को पंचायत फेम जितेंद्र कुमार और मनप्रीत कौर पर फिल्माया गया है। हाल ही में दिल्ली आई रेखा भारद्वाज से बातचीत हुई।
सबसे पहले तो यह बताइए कि आपका संगीत का सफर कब शुरू हुआ?
बचपन से ही मैं संगीत से जुड़ चुकी थी। पहले मैंने अपनी बड़ी बहन से सीखा। उसके बाद पंडित अमरनाथ जी से औपचारिक संगीत की शिक्षा ली। मां भी संगीत की अच्छी जानकार थीं। वे हिंदी साहित्य खूब पढ़ा करती थीं इसलिए हिंदी पर अच्छी पकड़ रही और पिता उर्दू जानते थे इसलिए उर्दू के शब्दों पर भी बचपन से ही पकड़ रही जिसने गीतों को आत्मसात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों में जाकर बड़े उस्तादों को सुनती रही हूं। इसने भी मेरी मदद की संगीत को समझने में।
जिस इंडस्ट्री में आप हैं वहां ट्रेंड फॉलो किया जाता है। लेकिन आपने हमेशा अलग मिजाज के गीतों को चुना?
मैं खुशनसीब हूं कि मुझे गुलजार साहब के लिखे गीतों को गाने का मौका मिला। दूसरी बात यह कि आपको अच्छा काम करना है उसके लिए कई बार इंतजार भी करना पड़ता है।
‘कह दो ना, कुछ तो बोलो ना..’ में सबसे अच्छा क्या लगा जो आपने इसे गाने के लिए चुना?
जब भी कोई गाना चुनती हूं तो उसमें सबसे पहले लिरिक्स और फिर संगीत देखती हूं। इस गाने के लिरिक्स मुझे बहुत अच्छे, सकारात्मक और सुकून देने वाले लगे।
आपने इतने सारे गाने गाए, इनमें आपका फेवरेट गाना कौन सा है?
मेरा एक नहीं, बहुत सारे गाने फेवरेट हैं। हर गाने की अपनी एक खुशबू है जिससे वह स्पेशल हो जाता है। मुझे सुकून वाले गाने ज्यादा पसंद हैं। ‘फिर ले आया दिल...’ मुझे पसंद है। नमक इश्क का व डार्लिंग भी बहुत भाते हैं।
आपकी पसंदीदा गायिका कौन रही हैं?
सबसे ज्यादा लता जी को सुनना पसंद करती हूं। मेरे लिए वे मां सरस्वती की तरह रही हैं। बचपन से उन्हें सुनती आई हूं। मैंने शास्त्रीय संगीत बहुत सुना है जिसमें किशोरी अमोनकर, उस्ताद आमीर खान , उस्ताद विलायत खान, मेहंदी हसन, फरीदा खानम, बड़े गुलाम अली खान व मधुरानी को सुनती रही हूं।
आपने जब करियर शुरू किया तो एक अल्बम निकालना भी मुश्किल काम था और आज सोशल मीडिया का जमाना है। दोनों में से किस दौर को बेहतर मानती हैं?
दोनों दौर में कुछ अच्छाइयां तो कुछ कमियां हैं। पहले संघर्ष थोड़ा ज्यादा था लेकिन आज सोशल मीडिया में बहुत अच्छे टैलेंट को भी आप देखते हैं तो वहीं कूड़ा भी बहुत है। आपको उसमें से छांटना पड़ता है। दूसरी बात, आज रिएलिटी शोज़ में छोटे-छोटे बच्चे भाग लेते हैं वे अच्छा गाते हैं लेकिन दस-बारह साल में टीवी से उन्हें जो प्रसिद्धि मिल जाती है वह भविष्य में उनकी ग्रोथ पर असर डालती है। सीखने की इच्छा को बनाए रखना आसान नहीं होता। जबकि गायन में पहले चीज़ों को ठहरकर अच्छे से सीखना जरूरी है।