कर कानूनों की सरलता से बढ़ेगी आर्थिकी
हाल ही में गोवा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के मंत्रिसमूह की बैठक में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम, टेक्सटाइल, हथकरघा वस्तुओं, कृषि से जुड़े उत्पादों और उर्वरकों सहित 100 से ज्यादा वस्तुओं पर जीएसटी दरों का विश्लेषण किया गया। इन दरों को दुरुस्त किए जाने के लिए आगामी माह अक्तूबर में नई दिल्ली में आयोजित होने वाली मंत्रिसमूह की बैठक में विस्तृत विचार विमर्श का निर्णय लिया गया। पिछले दिनों राजस्व विभाग ने आयकर अधिनियम सरल बनाने के लिए मुख्य आयकर आयुक्त वीके गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। यह समिति कर रियायतों को तर्कसंगत बनाने, कर गणना के तरीके का स्तर बढ़ाकर इसे विश्वस्तरीय बनाने और अपील करने की व्यवस्था में जटिलता कम करने करने संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। ज्ञातव्य है कि आयकर अधिनियम, 1961 की करीब 90 धाराएं अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं। ये धाराएं विशेष आर्थिक क्षेत्र, दूरसंचार, पूंजीगत लाभ सहित कर छूट एवं कटौती जैसे मामलों में कारगर नहीं रह गई हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत 5 सितंबर को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के साथ राजकोषीय मजबूती के लिए टैक्स और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात बढ़ाना जरूरी होता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.58 लाख करोड़ रुपये का रहा, जो कि पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष 2022-23 के 16.64 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 17.70 प्रतिशत अधिक है। खास बात यह भी है कि पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह 12.01 लाख करोड़ रुपये का रहा और इसमें पूर्ववर्ती वर्ष के 9.67 लाख करोड़ रुपये के सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह की तुलना में 24.26 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसी तरह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीएसटी का संग्रहण 20.18 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया, जो पूर्ववर्ती साल के मुकाबले 11.7 फीसदी वृद्धि को दिखाता है।
आयकर आकलन वर्ष 2024-25 के लिए 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित समय सीमा तक रिकॉर्ड 7.28 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किए गए, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 7.5 प्रतिशत अधिक हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से 22.07 लाख करोड़ रुपये संग्रहण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह चालू वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रहण भी तेजी से बढ़ रहा है यह अगस्त 2024 में 10 फीसदी वृद्धि के साथ 1.75 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया।
निश्चित रूप से पिछले एक दशक में जिस तेजी से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में तेज वृद्धि हुई है, उसके कई महत्वपूर्ण आधार हैं। आयकर कानून में जो अहम सुधार किए गए हैं उससे जहां आयकरदाताओं को सुविधा मिली, वहीं आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाने में भी मदद मिली है। इन सुधारों में प्रमुख रूप से 25 सितंबर 2020 से पूरे देशभर में लागू करदाताओं के लिए पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था और वर्ष 2019 में लागू करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर) और पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) जैसे बड़े आयकर सुधार प्रमुख हैं। इसके अलावा नॉन फाइलर्स, मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमए) के जरिए ऐसे लोगों की पहचान की जाती है जिन्होंने हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन किया है पर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है। इनकम टैक्स विभाग ने इनकम और ट्रांजेक्शन के आधार पर प्रोजेक्ट इनसाइट भी लॉन्च किया है, जिसका लक्ष्य स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना, गैर-अनुपालन को रोकना और लोगों को टैक्स देने के लिए प्रेरित करना है। इसके अलावा हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन के लिए पैन नंबर बताना जरूरी किया गया है।
इसी तरह देश में अप्रत्यक्ष करों में ऐतिहासिक सुधार कहा जाने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 से लागू हुआ है। इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर लगने वाले 17 केंद्रीय और राज्यस्तरीय टैक्स के साथ-साथ करीब 23 अलग-अलग तरह के उपकरों को समाहित किया गया है जीएसटी विनिर्माताओं, कारोबारियों, निर्यातकों और आम लोगों के लिए लाभप्रद माना गया है। जीएसटी लागू होने के पूर्व वित्त वर्ष 2016-17 में अप्रत्यक्ष कर संग्रह (केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और सीमा शुल्क आदि) से करीब 8.63 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई थी। जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी से टैक्स संग्रहण तेजी से बढ़ रहा है।
दुनिया की तेज बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के तहत बढ़ते उद्योग-कारोबार, सर्विस सेक्टर, शेयर बाजार और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति की नई ऊंचाइयों के कारण देश में टैक्स संग्रहण में तेज वृद्धि हो रही है। वस्तुतः कर संग्रह में तेज वृद्धि से बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की क्षमता बढ़ती है। सरकार की मुट्ठियों में बढ़ता कर राजस्व न केवल अर्थव्यवस्था के नवनिर्माण में मदद करता है बल्कि यह सरकार को अपने करदाताओं के प्रति जवाबदेह भी बनाता है।
यह उपयुक्त होगा कि हाल ही में आयकर अधिनियम को सरल बनाने के लिए गठित की गई समिति इस बात पर ध्यान दे कि करदाताओं की संख्या में इजाफा कर व्यवस्था को अधिक निष्पक्ष बनाया जाए ताकि इससे कर भुगतान को लेकर दृष्टिकोण को सही दिशा में बढ़ावा मिल सके। साथ ही विभिन्न दृष्टिकोणों से आयकर प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की रणनीति प्रस्तुत की जानी होगी।
इसी प्रकार जीएसटी को अधिक सरल व कारगर बनाना होगा। नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से जीएसटी अनुपालन जितना अधिक कारगर होगा, उतना ही अधिक जीएसटी संग्रह बढ़ाया जा सकेगा। इसके अलावा सरकार को जीएसटी चोरी के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाना होगा, क्योंकि अभी कई कारोबारी फर्जी बिल के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रहे हैं। टैक्स चोरी रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी प्रभावी बदलाव करने होंगे। जीएसटी दरों को कम करने के साथ जीएसटी स्लैब को तर्कसंगत बनाया जाना होगा। अब समय आ गया है कि पेट्रोलियम उत्पादों और जमीन व रियल एस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इससे आयकर राजस्व में भी इजाफा होगा। साथ ही इससे भूमि बाजार में होने वाले सौदों में पारदर्शिता आएगी।
लेखक अर्थशास्त्री हैं।